प्रबंधन व्यवस्था
यह एक कटु सत्य है कि भारतवर्ष के अधिकतर परिवार गरीब हैं। व्यक्तित्व संबंधी समस्याएं एवं विसंगतियां सारभौमिक स्वभाव की हैं और वें गरीब–अमीर में कोई भेदभाव नहीं करती हैं। अपनी परिस्थितिजन्य परेशानियों के कारण गरीब परिवार अमीर परिवारों की तुलना में इस समस्या से ज्यादा प्रभावित होतें हैं क्योकि व्यक्तिगत कमजोरियों के कारण वें अपने जीवन स्तर में वांछित सुधार नहीं कर पातें और गरीबी के चक्रब्यूह से बाहर ही नहीं निकल पाते हैं। अतः सस्ते सेवा शुल्क में उनकी व्यक्तिगत कमजोरियों का पता लगाकर उन्हें दूर करने के लिए उनकें व्यक्तित्व के परीक्षण, रेखांकन, एवं विकास करने की ज्यादा आवश्यकता है ताकि वें अपना और अपने परिवार के अन्य सदस्यों का जीवन स्तर तेजी से सुधार सकें। धनी परिवार तो यह सेवा कहीं से और किसी भी मूल्य पर प्राप्त कर सकतें हैं परन्तु गरीबों को भी यह सेवा सस्ते मूल्य में और बड़े स्तर पर उपलब्ध होनी चाहिए। बाजार दर के अनुसार निर्धारित मासिक वेतन पर पूर्णकालीन कर्मचारियों द्वारा सस्ती दर पर ‘व्यक्तित्व परीक्षण, रेखांकन, परामर्श एवं विकास’ सेवा प्रदान कर पाना व्यावहारिक रूप से संभव नही है।
‘प्रयास व्यक्तित्व विकास सेवा (प्रा.) लिमिटेड (प्रयास) एक प्राईवेट लिमिटेड कंपनी है जो भारतीय कम्पनी अधिनियम 1956 के अंतर्गत निगमित है। इसका प्रबंधन एक निदेशक मंडल जिसका प्रमुख प्रबंध निदेशक होता है, द्वारा किया जाता है। ‘प्रयास’ आवश्यकतानुसार तकनीकी सलाहकार कौंसिल जिसके सदस्य ख्यातिप्राप्त विषय विशेषज्ञ होते हैं, से समय समय पर सलाह प्राप्त करता है। किसी भी उपभोक्ता की आर्थिक स्थिति से निरपेक्ष उसे व्यक्तित्व निर्धारण, परामर्श तथा विकास सेवा प्रदान करने के अपने संस्थागत मिशन को ध्यान में रखकर ‘प्रयास’ अपनी सभी गतिविधियों का संचालन एवं प्रबंधन सामाजिक सेवा में रूचि रखने वाले तथा अतिरिक्त समय रखने वाले तथा मामूली आय के एवज में उसका दान करने वाले व्यक्तियों द्वारा स्व-रोजगार के रूप में करवाता है। ऐसे व्यक्तियों को ‘प्रयास’ का ‘गतिविधि भागीदार’ कहा जाता है और उनके द्वारा किये जा रहे कार्य की प्रकृति के अनुसार उन्हें व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शक या विशेषज्ञ कहा जाता है। ‘प्रयास’ के पूर्ण कालिक कर्मचारी काफी कम हैं और वें मात्र अपरिहार्य लेखांकन एवं अन्य विधिक एवं प्रशासनिक कार्य ही करतें हैं। ‘प्रयास’ ‘कोई लाभ नहीं कोई हानि नहीं’ तथा ‘अंतर-सहायता’ के दो मौलिक सिद्दांतों पर अपना सेवा शुल्क निर्धारित करता है तथा यह सुनिश्चित करता है कि अपने उपभोक्ताओं की कुल संख्या का कम से कम 30% आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों को उनकी भुगतान क्षमता के अनुसार ही सेवा शुल्क लेकर अपनी सेवायें प्रदान कर सके। अतः हमारी प्रबंधन व्यवस्था सहकारी स्वभाव की है जिसमें पात्र व्यक्ति हमसे विचार-विमर्श करके अपनी क्षमता एवं अभिरूचि के अनुसार अपना योगदान दे सकता है। यदि आप हमारे जनकल्याणकारी व्यावसायिक आन्दोलन में सहयोग करना चाहतें हैं तो हमसे यथाशीघ्र संपर्क करके हमारे प्रबंधन प्रणाली का हिस्सा बन सकतें हैं।