प्रयास फाउंडेशन कोर्स

(समेकित व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम)

(75 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से परिकल्पित समेकित व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम)

(कूट संख्या: पीएफसी/05)

 

[हम सभी की मृत्यु बिना किसी अपवाद तथा पूर्व सूचना के आनी निश्चित है अतः हमें उसके स्वागत एवं हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार अगले जीवन की यात्रा पर शांतिपूर्वक जाने के लिए स्वयं को मानसिक रूप से तैयार कर लेना चाहिए। एक वयस्क जो एक समय अपनी नौकरी या पेशे के साथ-साथ अपने परिवार की जिम्मेदारियां उठाने में अन्यंत व्यस्त था तथा अधिकार संपन्न था, सेवा निवृति तथा पारिवारिक जिम्मेदारियों से मुक्त होने के बाद अचानक स्वयं को एकदम खाली खाली एवं अकेला महसूस करता है क्योकि उसके अधिकार और उनसे पैदा होने वाला प्रभाव समाप्त हो जाता है और परिवार में भी उसका महत्त्व पहले की तुलना में काफी कम हो जाता है। इस प्रकार का अधिकारविहीन जीवन 20 से 25 वर्ष तक जीने यानी 75 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने के बाद वह दिन प्रति दिन वह अपनी शारीरिक शक्ति भी खोने लगता है और कुछ बीमारियों से भी घिर सकता है। स्वास्थ्य एवं शारीरिक शक्ति में यह ह्रास 75 वर्ष की आयु प्राप्त करने के पहले या कभी कभी तो 60 या 65 वर्ष की आयु के बाद ही होना आरम्भ हो सकता है। यह जीवन का वह सोपान होता है जब व्यक्ति को स्वयं को सभी भौतिक सुविधाओं से मानसिक रूप से निर्लिप्त कर लेना चाहिए और अपना पूरा ध्यान मात्र अपने शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर केन्द्रित कर देना चाहिए और मात्र हल्के फुल्के वें शारीरिक कार्य करने चाहिए जो बिना किसी किसी तनाव या परेशानी के आसानी से किये जा सकें। यदि कोई व्यक्ति ऐसा तनाव-मुक्त और क्रियाशील जीवन को अपनाकर उसे अच्छी तरह जीने की कला नहीं जानता तो जीवन के इस सोपान पर वह न केवल अवसाद का शिकार हो सकता है बल्कि उसका स्वास्थ्य भी काफी तेजी से खराब हो सकता है।  प्रयास फाउंडेशन कोर्स (विभिन्न उपभोक्ता समूहो की आवश्यकतानुसार उनके लिए विशेष रूप से परिकल्पित, विकसित एवं परिमार्जित एक समेकित व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम) का यह विशिष्ट प्रारूप (पीएफसी/05) एक ऐसा अनूठा कार्यक्रम है जो 75 वर्ष से अधिक आयु के प्रतिभागियों को  उनके जीवन के अंतिम चरण और उनकी रूचि एवं रुझान से सम्बंधित मुद्दों पर मार्गदर्शित विचार-मंथन द्वारा अपनी सोच एवं आचरण में उचित परिवर्तन करके और अपनी भावनात्मक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक या नैतिक बुद्धिमत्ता में जीवन के इस चरण की आवश्यकतानुसार सुधार लाकर और अपना व्यक्तित्व आत्म-निर्भर एवं आत्म-निर्देशित बनाकर अपने जीवन के अंतिम चरण को पूरी संतुष्टि, शांति एवं आनंद से जीने के लिए तैयार करता है। इस आयु में विचार-मंथन मात्र 10 प्रतिभागियों के एक समूह में किया जाता है और यह जीवन के अंतिम चरण या बची हुए जीवन को एक उत्सव बनाने पर केद्रित होता है। रूचि एवं रुझान का निर्धारण इच्छित विषय पर नियमित लेखन के माध्यम से किया जाता है। यह कार्यक्रम वृद्ध प्रतिभागियों को अपने खाली समय का उपयोग अन्यंत कठिन एवं चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना कर रहे लोगों का व्यक्तिगत मार्गदर्शन प्रदान करने और समाज सेवा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए सक्षम बना देता है। व्यक्ति का  जीवन कठिनाईयों और चुनौतियों से परिपूर्ण है और यह बुजुर्गों के लिए और अधिक कठिन हो जाता है अतः उन्हें इसे प्रसन्नतापूर्वक एवं स्वस्थ तरीके के जीना आना चाहिए। यह कार्यक्रम अपने जीवन के अंतिम चरण के प्रतिभागियों को मानसिक रूप से इसके लिए पूरी तरह तैयार कर देता है।  यह कार्यक्रम अत्यंत लचीला, अनौपचारिक एवं सस्ता है।

कार्यक्रम की विशिष्ठता

यह अनूठा समेकित व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम 75 वर्ष या उससे अधिक आयु के प्रतिभागियों को मार्गदर्शित समूह विचार-मंथन प्रक्रिया (एक समूह में मात्र 10 प्रतिभागी) द्वारा अपनी सोच एवं व्यवहार में वांछित परिवर्तन लाकर अपने परिवार, सगे-सम्बन्धियों एवं समाज के दिन-प्रति-दिन के कार्यों से संबधित निर्णयों से पूर्ण निर्लिप्तता प्राप्त कर एक प्रसन्न, शांत, स्वस्थ, नैतिक/आध्यात्मिक परन्तु सामाजिक रूप से उपयोगी एवं आत्म-संतुष्टि का जीवन जीने की कला सिखाने के लिए समर्पित एवं परिकल्पित है।

यह 6 मासिक समेकित व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम जिसे ‘प्रयास फाउंडेशन कोर्स (पीएफसी 05)’ कहा जाता है, प्रतिभागियों के जीवन के अंतिम चरम से सम्बंधित महत्वपूर्ण मुद्दों के सम्बंधित रोचक प्रश्नों (विचार विन्दुओं) पर उन्मुक्त विचार मंथन प्रक्रिया के माध्यम से प्रतिभागी में बीमारी एवं मृत्यु के प्रति सकारात्मक सोच, स्वस्थ जीवन शैली अपनाने मे रुचि विकसित करने के साथ साथ पारिवारिक, संस्थागत, सामाजिक, विधिक, आर्थिक एवं राजनैतिक मामलो में अपने जीवन के अंतिम चरण के अनुरुप अपनी भूमिका में परिवर्तन की सम्यक समझ विकसित करके शांति एवं प्रसन्नता के भरपूर परंतु एक निर्लिप्त जीवन जीने के लिए उत्प्रेरित करता है। यह प्रतिभागियो को मानव जीवन के उद्देश्य, मौलिक मानवीय मूल्यो, नागरिको के अधिकारो एवम उत्तरदायित्यों और जीवन के इस सोपान के लिये समुचित व्यक्तिगत, पारिवारिक, संस्थागत, सामाजिक आर्थिक एवं राजनैतिक व्यवहार से सम्बंधित मुद्दो पर उन्मुक्त विचार मंथन करने के लिये प्रोत्साहित करता है और जीवन के इस सोपान के लिये व्यक्तिगत आचार-विचार में परिवर्तन क़े बारे में आम सहमति कायम करने के लिये उत्प्रेरित करता है। यह कार्यक्रम प्रतिभागियों को महत्वपूर्ण पारिवारिक मुद्दो से निश्चित दूरी बनाने और बच्चों और कार्यशील वयस्को को उंनके अनुरोध पर ही उचित मार्गदर्शन देने और दैनिक कार्यो मे हस्तक्षेप न करने के महत्व को समझने के किये एक मंच प्रदान करता है। यह जीवन का वह चरण होता है जिसमें व्यक्ति को अपने नजदीकी एवं परम प्रिय लोगों से भी न्यूनतम उम्मीद ही रखना चाहिए।

कार्यक्रम की आवश्यकता  

पुरातन भारतीय जीवन दर्शन के अनुसार किसी भी व्यक्ति को अपने जन्म से मृत्यु तक एक शांतिपूर्ण, सफल एवं आनंदपूर्ण जीवन जीने के लिए ब्रह्मचर्य (जीवन यापन के लिए आवश्यक सैध्दांतिक एवं व्यवहारिक ज्ञान एवं कला-कौशल अर्जित करने का समय), गृहस्थ (परिवार संवर्धन एवं परिपालन एवं अन्य जिम्मेदारियों का निर्वाह करने का समय), वानप्रस्थ (वन के तरफ प्रस्थान या पारिवारिक या सांसारिक मामलों के क्रमशः दूरी बनाने और अन्य लोगों को व्यक्तिगत मार्गदर्शन प्रदान करने का समय) एवं संन्यास (पारिवारिक एवं सांसारिक वस्तुओं से पूर्ण अलगाव एवं विरक्ति प्राप्त करने तथा अन्य लोगों को व्यक्तिगत मार्गदर्शन प्रदान करने का समय) आश्रमों की निश्चित जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठां, ईमानदारी  एवं सामर्थ्य के अनुसार निभाना चाहिए। ‘प्रयास व्यक्तित्व विकास सेवा प्रा. लि.’ द्वारा आरम्भ किया गया ‘प्रयास फाउंडेशन कोर्स’ किसी समूह विशेष के प्रतिभागियों की आयु और उनके जीवन उद्देश्य के अनुसार विशेष रूप से परिकल्पित एवं विकसित किया गया कार्यक्रम है जो उनके लिए अत्यंत उपयोगी है। इस कार्यक्रम का यह प्रारूप (पीएफसी 05) उन व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है जिन्होंने अपने जीवन के अंतिम चरण यानी संन्यास आश्रम में  प्रवेश किया है और जीवन के इस चरण के लिए यह कार्यक्रम अपने आप में समेकित है।

जीवन के अंतिम चरण में एक सक्षम, सफल, शांतिपूर्ण, संतुष्ठ एवं आनंद से परिपूर्ण जीवन के लिए व्यक्ति के व्यक्तित्व में कुछ मौलिक गुणों एवं जीवन मूल्यों का विकसित होना आवश्यक है। ये गुण एवं जीवन मूल्य हैं: जीवन के अंतिम चरण में अच्छे स्वास्थ के महत्त्व की समझ एवं स्वस्थ जीवन शैली अपनाने का महत्त्व, विभिन्न आयु संबंधी विमारियों एवं मृत्यु के बारे में सकारात्मक सोच, पारस्परिक सौहार्द, विश्व-बंधुत्व की भावना, दूसरों की बातों एवं विचारों को ध्यान के सुनने का धैर्य, दूसरों की भावनाओं एवं विचारों को समझने और उनका आदर करने की इच्छा, दूसरों के सामने अपने विचार वस्तुनिष्ट, नम्रतापूर्वक एवं प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने की क्षमता, अपने कर्तर्ब्यों एवं जिम्मेदारियों के प्रति सजगता एवं एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में उन्हें पूरा करने की इच्छा, प्रजातान्त्रिक विचारों, सिद्धान्तों एवं प्रक्रियाओं की सामान्य समझ एवं उनमें विश्वास, सभी धर्मों की एक जैसी मान्यताओं की समझ, उनके प्रति आदर भाव तथा समाज में विविध-धर्मी एवं विविध विचारों वाले लोगों के सहअस्तित्व में विश्वास, मानवाधिकारों एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता में विश्वास, जीवन में नैतिक मूल्यों के महत्त्व में विश्वास, परिवार एवं आस-पास के अपने से आयु में छोटे लोगों के प्रति स्नेह एवं अपने अनुभव से उनका मार्गदर्शन करने की इच्छा, धार्मिक एवं उत्प्रेरक साहित्य का नियमित अध्ययन एवं जीवनोपयोगी नई चीजें सीखने की प्रवृति और अपने खाली समय का उपयोग समाज सेवा कार्यों के लिए करने की इच्छा। इनके अतिरिक्त प्रतेक व्यक्ति को वर्तमान पारिवारिक, संस्थागत, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक परिवेश में हो रहें परिवर्तनों के प्रति जागरूक एवं संवेदनशील होना चाहिए। जबतक उक्त गुणों एवं मूल्यों को व्यक्ति में विकसित न कर दिया जाय, वह अपने जीवन के अंतिम चरण में अपने पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन में सफल नहीं हो सकता है। वह न तो स्वयं अपने जीवन में प्रसन्न एवं शांत रह पायेगा और न तो दूसरों से आदर ही प्राप्त कर पायेगा।

जीवन के अंतिम चरण की समस्याओं को ध्यान में रखकर और  इस जीवन को सफलतापूर्वक जीने के लिए आवश्यक भावनात्मक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक बुद्धिमत्ता विकसित करने के लिए ‘प्रयास’ ने एक अनूठा व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम जिसे ‘प्रयास फाउंडेशन कोर्स–पीएफसी 05’ कहते हैं, आरम्भ किया है। इसके लिए यह कार्यक्रम, स्व-लेखन, स्व-विश्लेषण और संमूह में विचार-मंथन की अनूठी प्रक्रिया अपनाता है। यह कार्यक्रम अंशकालीन, लचीला और अनौपचारिक है और प्रतिभागी के दैनिक दिनचर्या में कोई व्यवधान नहीं पैदा करता है। इसके सत्रों की अवधि, समय और दिन आदि सम्बंधित बैच के प्रतिभागियों की आवश्यकतानुसार ‘प्रयास’ की पूर्व अनुमति से निर्धारित किये जा सकतें हैं।

इस कार्यक्रम के किसी बैच में प्रवेश पूरा होने और उसके आरंभ किये जाने के तुरंत बाद (प्रारंभिक 15 दिनों के अन्दर) प्रतिभागियों की मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक या नैतिक बुद्धिमत्ता के वर्तमान स्तर एवं उनके व्यक्तित्व की अन्य विशिष्टताओं का पता लगाने के लिए उनका व्यक्तित्व परीक्षण, कई समय-सिद्ध मनोवैज्ञानिक उपकरणों के माध्यम  से किया जाता है और उनके प्रारंभिक (प्रवेश-पूर्व) व्यक्तित्व का एक खाका (आरंभिक व्यक्तित्व लेखांकन) तैयार किया जाता है और सम्बंधित व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शक, जो स्वयं ही एक सेवा निवृत व्यक्ति होता है, को प्रतेक प्रतिभागी के व्यक्तित्व की विशिष्टताओं से अवगत करा दिया जाता है। कार्यक्रम के समाप्त होने के पूर्व (कार्यक्रम समाप्त होने के 15 दिन पूर्व) इस कार्यक्रम में भाग लेने के कारण प्रतिभागियों के व्यक्तित्व में हुए वास्तविक परिवर्तनों का पता लगाने के लिए प्रतेक प्रतिभागी का पुनः व्यक्तित्व रेखांकन परीक्षण किया जाता है और उसके व्यक्तित्व का संशोधित खाका तैयार किया जाता है। ‘प्रयास’ द्वारा प्रतेक प्रतिभागी के व्यक्तित्व के आरंभिक और अंतिम खाके की तुलना करके उसकी एक ‘व्यक्तित्व विकास रपट’  तैयार की जाती है। यह रपट इस कार्यक्रम में भाग लेने के कारण उसके व्यक्तित्व में हुए महत्वपूर्ण परिवर्तनों को इंगित करती है और भविष्य में आवश्यक सुधार के किये कुछ सुझाव भी देती है जिसे प्रतिभागी द्वारा अपने जीवन में लागू किया जा सकता है।  यह सारी प्रक्रिया डिजिटल माध्यम से संपन्न की जाती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि इसे सफलतापूर्वक पूरा करने वाले प्रतिभागी अपने जीवन के अंतिम चरण की दैनिक समस्याओं का पूरे विश्वास के साथ सामना करने और उनका समाधान करने के लिए पूरी तरह तैयार हो जायें और साथ ही अच्छा स्वास्थ्य भी सुनिश्चित कर सकें। उसके व्यक्तित्व में हुए परिवर्तन से उनके परिवार के लोग अत्यंत प्रसन्न होगें।

कार्यक्रम का उद्देश्य

इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों में निम्न प्रकार की विशेष क्षमताओं का विकास करना है जो जीवन के अंतिम चरण में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं।

  1. जीवन की सक्रियता एवं व्यस्तता में काफी कमी लाकर अपनी पूरी ऊर्जा स्वस्थ एवं शांत जीवन जीने पर केद्रित करने की इच्छा।
  2. अपने खाली समय में दूसरों को विभिन्न पारिवारिक, सामाजिक एवं कार्य संबंधी मद्दों पर उचित मार्गदर्शन निस्वार्थ भाव से प्रदान करने और अपने परिवार के तथा अन्य अनुभवहीन नवयुवकों के मार्गदर्शक के रूप में कार्य करने की क्षमता।
  3. अपने परिवार एवं सामाजिक जीवन के लिए एक सहयोगी परिवेश सृजित करने की क्षमता।
  4. अपने खाली समय का सदुपयोग अपनी रूचि के अनुसार अच्छा धार्मिक एवं उत्प्रेरक साहित्य पढ़ने तथा समाज सेवा का कार्य करने के लिए करने की प्रवृति।
  5. अपने समय का सदुपयोग करने और एक अच्छी नीद प्राप्त करने की क्षमता।

उक्त क्षमताओं के विकसित हो जाने के बाद व्यक्ति का व्यक्तित्व अन्य लोगों के लिए उत्प्रेरक हो जाता है और उसमें जीवन के प्रति उत्साह बना रहता है।

 

कार्यक्रम का पाठ्यक्रम

75 वर्ष या उससे अधिक आयु के प्रतिभागियों को निम्न विषयों से सम्बंधित रुचिकर प्रश्नों (विचार-विन्दुओं), जो जीवन के अंतिम चरण को सफलतापूर्वक जीने के लिए महत्वपूर्ण हैं,  पर विचार मंथन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। उन्मुक्त विचार-मंथन प्रक्रिया प्रतिभागियों के अन्दर जीवन एवं कार्य की व्यावहारिक समस्याओं पर वस्तुनिष्ट एवं तार्किक सोच-विचार करके नई पीढी को उनका उचित समाधान प्रदान करने और मार्गदर्शन देने की क्षमता  विकसित कर देती है। पाठ्यक्रम को प्रतिभागियों से प्राप्त प्रतिपुष्टि के आधार पर समय समय पर अद्यतन किया जाता है।

  1. जीवन के विभिन्न आश्रमों की भूमिका: ब्रम्हचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं संन्यास आश्रम की जीवन में भूमिका, जीवन के इस सोपानों की एक दूसरे से भिन्नता एवं विशिष्टता, संन्यास आश्रम की भूमिका एवं महत्त्व, जीवन के इस चरण में परिवार एवं समाज को मार्गदर्शन प्रदान करने की भूमिका, जीवन के इस चरण में पौष्टिक भोजन, अच्छे स्वास्थ्य एवं स्वाध्याय का महत्त्व।
  2. मनोवैज्ञानिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर मानसिक स्थिति या सोच का प्रभाव: हमारी आंतरिक सोच का हमारे स्वास्थ्य एवं प्रसन्नता पर प्रभाव, सामने आने वाली प्रतेक परिस्थिति में पूर्णतया स्थिर, शांत एवं प्रसन्न रहने के लिए अपनी सोच को कैसे ठीक रखें? सकारात्मक सोच, स्व-सुझाव एवं ध्यान द्वारा शरीर की आनुवंशिक संरचना में सकारात्मक परिवर्तन की संभावना। जीवन के अंतिम चरण में अच्छे स्वास्थ्य और सोच का महत्त्व।
  3. अपने व्यक्तित्व की विशिष्टत्ताओं को समझने के लाभ: स्वयं को समझने के लिए अपने व्यक्तित्व, अभिरुचि, रुझान एवं अन्य विशेषताओं को वैज्ञानिक तरीके से समझने का महत्त्व, विभिन्न प्रकार की बुद्धिमत्ता के स्तर का महत्व और उसमे सुधार की आवश्यकता, सफल व्यक्तिगत मार्गदर्शन का मनोविज्ञान, व्यवहार परिवर्तन की प्रक्रिया एवं उसका महत्त्व, एक सहकारी एवं सहयोगी समाज के सृजन में भावनात्मक, सामाजिक और आध्यात्मिक बुद्धिमत्ता की भूमिका तथा उसमें बुजुर्गों की भूमिका, अपने सकारात्मक एवं सहयोगात्मक व्यवहार से अपने चारों तरफ एक नैसर्गिक वातावरण का निर्माण, अपने जीवन का अंतिम चरण को अपनी रूचि एवं रुझान के अनुरूप जीने और इस संसार को पूर्ण संतुष्टि के साथ छोड़ने का महत्त्व ।
  4. व्यक्तित्व विकास के विभिन्न आयाम: पारिवारिक परिवेश, शिक्षण एवं प्रशिक्षण- औपचारिक तथा अनौपचारिक; सतत सीखने एवं स्व-विकास की प्रक्रिया में सहयोगी एवं उत्प्रेरक परिवेश का महत्त्व, अपने कार्य पर अपनी उर्जा के केन्द्रीकरण का लाभ; विद्या एवं बुद्धि  के सामंजस्य की आवश्यकता एवं उसका लाभ,  भावनात्मक  परिपक्वता की प्राप्ति और जीवन में नैतिक मूल्यों के महत्व की समझ। 75 वर्ष के अधिक आयु वाले व्यक्तियों द्वारा अपने जीवन के अंतिम चरण में भी दूसरों को उनके व्यक्तित्व के समेकित विकास के लिए व्यक्तिगत मार्गदर्शन प्रदान करने का महत्त्व।
  5. व्यक्तिगत सोच एवं व्यवहार: कर्म का सिद्धान्‍त एवं भाग्य; मानव विकास में कार्य या सृजनात्मक व्यस्तता की भूमिका, समय प्रबंधन का महत्त्व; असफलता से सफलता की तरफ; हमारे जीवन में तनाव के कारक, उनसे मुक्ति एवं तनाव प्रबंधन के तरीके; नकारात्मक सोच के श्रोत और सकारात्मक सोच विकसित करने के तरीके, नकारात्मक सोच से हानि एवं सकारात्मक सोच से लाभ; अपने बाकी जीवन में अपने भाग्य का निर्माण, अपरिवर्तनशीलता या रुढ़िवादिता से हानि; खेलभावना विकसित करने के लाभ, जीवन में सफलता प्राप्त करने में सृजनशीलता एवं कल्पनाशीलता की भूमिका एवं खेल-कूद से व्यवहार परिवर्तन; सामाजिक स्वीकार्यता की मानवीय आवश्यकता; व्यक्तिगत व्यवहार में  सहजता एवं  सरलता का महत्त्व,  आर्थिक विकास में उद्यमशीलता का महत्त्व तथा व्यक्ति में प्रबंधकीय, वित्तीय एवं विधिक समझ विकसित करने का महत्त्व तथा स्वस्थ जीवन मूल्यों के प्रचार-प्रसार में बुजुर्गों की भूमिका।
  6. धार्मिक मान्यताएं एवं व्यवहार: विभिन्न धर्मों की मौलिक मान्यताएं; प्रशासनिक आचरण में धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता एवं महत्त्व, विश्व बंधुत्व की अवधारणा; मानव समानता का आधार; मानवाधिकार; नैतिक आचरण; भ्रष्टाचार न करना; किसी को हानि न पहुचाना, सामाजिक समरसता एवं शान्ति के लाभ तथा इन मूल्यों के प्रचार-प्रसार में बुजुर्गों की भूमिका।
  7. सामाजिक संबंध एवं व्यवहार: मानव एक सामाजिक प्राणी; परिवारिक सम्बन्ध; सगे संबधी, सामाजिक संबंध; व्यक्ति की अच्छाई में विश्वास; मित्रता; भ्रष्टाचार का समाज विशेषकर ग़रीबों पर कुप्रभाव, धार्मिक एवं सामाजिक कुरीतियों का प्रभाव,  सामाजिक सुधार की आवश्यकता एवं उसके लाभ तथा परिवार एवं समाज के नवयुवकों को उचित मार्गदर्शन प्रदान करने में बुजुर्गों की भूमिका।
  8. आर्थिक परिवेश एवं व्यवहार: आर्थिक रूप से सुरक्षित जीवन के उत्तरार्ध विशेषकर अंतिम चरण में बचत एवं निवेश की भूमिका; जीवन में वित्तीय आत्मनिर्भरता एवं स्वतंत्रता का महत्त्व, अत्यंत आर्थिक विषमता का सामाजिक समरसता पर प्रभाव; बेरोजगारी के कारण एवं उनका समाधान, व्यक्ति में असंतोष का कारण एवं उनका समाधान; विभिन्न मुद्राएँ; अंतर्राष्ट्रीय व्यापार,  अति उपभोक्तावाद के नुकसान, सुरक्षित भविष्य के लिए  बचत का सही उपयोग का महत्व और पैसे के महत्त्व की सीमा तथा आर्थिक विकास में उद्यमशीलता की भूमिका।
  9. राजनैतिक प्रणाली एवं वर्तमान परिवेश: वर्तमान प्रजातांत्रिक परिवेश; मतदान प्रक्रिया; केद्र एवं राज्य सरकारों एवं स्थानीय निकायों का गठन; जिम्मेदार नागरिकों के अधिकार एवं कर्तव्य,  प्रशासन की गुणवत्ता में जनता की जागरुकता की भूमिका, विविध-धर्मी समाज में प्रशासन के व्यवहार में धर्मनिरपेक्षता  का महत्त्व। लोगों में प्रजातांत्रिक मूल्यों और व्यवहार पैदा करने में बुजुर्गों की भूमिका।
  10. विधिक व्यवस्था : क़ानून व्यवस्था बेरोजगारी एवं अपराध, अपराध नियंत्रण, अपराध का MANIOVYGYAमनोविज्ञान, सिविल प्रक्रिया संहिता, अपराध प्रक्रिया संहिता, क़ानून व्यवस्था की वर्तमान समस्याएं, चुनौतियां एवं समाधान। शांतिपूर्ण एवं क़ानून का पालन करने वाले समाज विकसित करने में बुजुर्गों के मार्गदर्शन की भूमिका।
  11. संस्थागत समूह कार्य-प्रक्रिया: समाज में संस्थाओं की भूमिका, संस्थाओं के स्वभाव एवं प्रकार, सामूहिक कार्य-प्रक्रिया में व्यक्ति की भूमिका, व्यक्तिगत और संस्थागत उद्देश्यों में सामजस्य की आवश्यकता एवं महत्त्व, संस्थागत कार्य परिवेश में भावनात्मक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक बुद्धिमत्ता की भूमिका और संस्था के वित्तीय स्वास्थ्य एवं प्रतिष्ठा पर इसका प्रभाव। संस्थागत कार्य-निष्पादन, उत्पादकता एवं प्रभावशीलता सुधार लाने में अंशकालीन मार्गदर्शक के रूप में बुजुर्गों की भूमिका।
  12. निर्णय प्रकिया में वस्तुनिष्ठता की भूमिका: समस्याएं एवं मानव जीवन की गुणवत्ता, समस्या-समाधान प्रक्रिया, व्यक्ति में वस्तुनिष्ट निर्णय क्षमता की आवश्यकता, वस्तुनिष्ठता का स्वभाव, निर्णय की गुणवत्ता में वस्तुनिष्ठता की भूमिका तथा तार्किक निर्णयों का हमारे जीवन पर प्रभाव। कार्यशील वयस्कों को वस्तुनिष्ट निर्णय लेने में मार्गदर्शन प्रदान करने में बुजुर्गों की भूमिका।
  13. सामान्य ज्ञान: शासन व्यवस्था; देश एवं राज्य; भाषाएँ एवं उनका उपयोग; अर्थ-व्यवस्था में कृषि की भूमिका; स्वच्छ पर्यावरण का महत्व, प्रदूषण के प्रकार, स्वाथ्य एवं बीमारी नियंत्रण; संतुलित एवं पौष्टिक भोजन का महत्त्व; योग एवं प्राणायाम का महत्त्व; अच्छी नीद का महत्त्व।
  14. अन्य विषय : प्रतिभागियों की विशेष आवश्यकता के अनुसार अन्य उपयोगी विषयों पर चर्चा की जाती है।

कोर्स संचालन एवं प्रबंधन

इस कार्यक्रम का संचालन एवं प्रबंधन प्रशिक्षित व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शकों जो स्वयं सेवा-निवृत अधिकारी या प्रबंधक होतें है, द्वारा हमारे तकनीकी  मार्गदर्शन में किया जाता है।  सेवा निवृत व्यक्ति जो इस कार्यक्रम को संचालित करना चाहते हैं, को अपना पंजीकरण करना पड़ता है और हमारे साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करना पड़ता है। सहमति पत्र में दोनों पक्षों यानी प्रयास तथा इस कार्यक्रम को चलाने के इच्छुक व्यक्ति के कर्तव्य एवं जिम्मेदारियां स्पष्ट रूप से इंगित की गई है। ‘प्रयास’ की जिम्मेदारी प्रतिभागियों के व्यक्तित्व का निर्धारण एवं समय से पर आवश्यक निर्देशन देना है तथा इसे चलाने वाले व्यक्ति  की जिम्मेदारी इसके संचालन के सम्बंधित सारे कार्यों का निर्वहन करना होता है। आपसी सहमति से इसकी शर्तों में परिवर्तन किया जा सकता है। इसका प्रारूप इस वेबसाइट के ‘सहमति पत्र’ से सम्बंधित अनुभाग पर उपलब्ध है जिसे डाउनलोड किये जा सकता है।

गुणवत्ता नियंत्रण

कार्यक्रम के दौरान निश्चित अंतराल एवं इसके अंत में प्रतेक प्रतिभागी एवं कोर्स का संचालन करने वाले व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शक से कार्यक्रम को चलाने के तरीकों, चर्चा बिन्दुओं और कोर्स की उपादेयता के बारे में लिखित सुझाव लिए जाते हैं। वह प्रतिभागियों के सुझाव लेकर उन्हें अपने सुझाव के साथ ‘प्रयास’ को भेजता है। इन सुझावों पर सम्यक विचार करके चालू कार्यक्रम एवं अगले कार्यक्रम में आवश्यक सुधार किया जाता है। बदलती आवश्यकता के अनुसार ‘प्रयास’   द्वारा  कार्यक्रम में आवश्यक सुधार किये जातें हैं और इसे संचालित करने वाले व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शकों को समय समय पर निशुल्क पुनः प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

कार्यक्रम की अवधि

इस कार्यक्रम की सामान्य अवधि 6 माह है जिसके अंतर्गत सप्ताह में 6 दिन प्रतिदिन 90 मिनट के विचार-मंथन सत्र आयोजित किये जातें हैं। इस अवधि को प्रतिभागियों एवं इसे संचालित करने वाले ‘व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शकों और प्रतिभागियों की अपनी आवश्यकतानुसार विचारमंथन सत्र की अवधि और सप्ताह में इसके संचालन के दिनों में परिवर्तन करके इसकी अवधि में परिवर्तन किया जा सकता है जिसके लिए ‘प्रयास’ की पूर्व अनुमति आवश्यक होगी।. मार्गदर्शन शुल्क उसी के अनुसार परिवर्तित हो जाएगा।

कोर्स परिकल्पना एवं निर्देशन

इस कोर्स के परिकल्पक एवं निर्देशक डॉ. राम चन्द्र राय हैं  जो ‘भारतीय रेलवे लेखा सेवा’ जो एक केद्रीय सिविल सेवा है के सेवा निवृत अधिकारी हैं। उन्होंने अपनी स्कूल एवं कॉलेज की शिक्षा पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक ग्रामीण इलाके से पूरा करने के बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी से भौतिकी में बीएससी(आनर्स) एमबीए तथा पीएचडी की उपाधि प्राप्त किया। उसके बाद 7 वर्ष तक एक सरकारी औद्योगिक परामर्शदाता संस्था में  वित्त एवं प्रबंध  परामर्शदाता के रूप में कार्य करने के बाद केद्रीय सिविल सेवा में चयनित होकर भारतीय रेलवे लेखा सेवा में 32 वर्ष कार्य करके भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव के समकक्ष पद (प्रमुख वित्त सलाहकार) से सेवा निवृत होकर इस समय ‘प्रयास’ के साथ  समेकित व्यक्तित्व विकास कार्य हेतु पूरी तरह समर्पित हैं।  वित्त परामर्शदाता के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने नोएडा के वित्त पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारतीय रेलवे की सेवा करते हुए इन्होने नेशनल अकादमी ऑफ़ इंडियन रेलवे वडोदरा में प्रोफेसर एवं सीनीयर प्रोफेसर के रूप में भी सात वर्ष तक कार्य किया है और इन्हें प्रतिभागियों के व्यवहार परिवर्तन में सक्षम पाठ्यक्रमों की परिकल्पना और निर्देशन का लम्बा अनुभव है। यह कार्य वें एक समाज सेवा की भावना से कर रहें हैं।

कार्यक्रम का मौलिक दर्शन

इस कार्यक्रम का मौलिक दर्शन मानव व्यवहार का यह मौलिक तथ्य है कि यदि कोई व्यक्ति या संस्था द्वारा किसी व्यक्ति को अपने सोच-विचार एवं व्यवहार को परिवर्तित करने के लिए निर्देशित किया जाय तो वह अहंकारवश उसका यथासंभव प्रतिरोध करता है और इसके लिए जल्दी तैयार नहीं होता है। यदि वह किसी मजबूरी में या भयवश वह इसके लिए तैयार भी हो जाता है तो उसके व्यवहार में यह परिवर्तन चिरस्थायी नहीं होता और सम्बंधित भय या मजबूरी के समाप्त होते ही वह पुनः अपने पुराने व्यवहार पर लौट आता है।  परन्तु इसके विपरीत यदि वह स्वयं या एक समूह में अन्य लोगों के साथ चर्चा, अन्वेषण और विश्लेषण से इस निष्कर्ष पर पहुचता है कि अपने आचार-विचार में वांछित परिवर्तन से उसे लाभ होगा तो वह स्वेच्छा से वह अपने आचार-विचार में परिवर्तन करता है और इस परिवर्तन के  स्थायी होने की संभावना  काफी बढ़ जाती है। चूँकि इस कार्यक्रम में विचार-मंथन सत्र का संचालन करने वाला व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शक प्रतिभागियों को एक किसी विषय विशेष के विभिन्न आयामों पर समूह में विचार मंथन करके वांछित व्यवहार के संदर्भ में एक आम-राय कायम करने के लिए उत्प्रेरित करता है अतः इस बात की संभावना अधिक होती है कि उस समूह के सदस्य आम-सहमति से निर्धारित व्यवहार करने का निर्णय स्वेच्छा से लें और वास्तव में अपने व्यवहार में वैसा ही परिवर्तन ले आयें। स्वेच्छा से व्यक्ति के सोच एवं व्यवहार में लाया गया सकारात्मक परिवर्तन उसके जीवन में शांति, प्रसन्नता और सफलता लाता है और उसके जीवन को स्वर्णिम बना देता है।

कार्यक्रम से प्रतिभागियों को संभावित लाभ

इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूर्ण करने वाले प्रतिभागियों को होने वाले संभावित लाभों में, अपने व्यक्तित्व की बेहतर समझ, अपने जींवन के वर्तमान सोपान का महत्त्व, आत्म-अनुशासन में सुधार, बेहतर समय-प्रबंधन, अपने परिवार के सदस्यों, सगे-संबधियों, मित्रों, और अपने सहकर्मियों के साथ बेहतर सम्बन्ध और अपने जीवन के अंतिम चरण का सफल प्रबंधन,  प्रसन्नता एवं प्रतिष्ठा में वृद्धि आदि शामिल हैं। यह कार्यक्रम प्रतिभागी के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है और जीवन की कठिन समस्याओं और चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करने में सक्षम बनाता है और इसे शांतिपूर्ण एवं आनंदपूर्ण बना देता है। हमारा जीवन विभिन्न समस्याओं, कठिनाईयों और चुनौतियों के भरा होता है और यदि हम बिना अपना संयम खोये इनका समाधान कर लें तो हम न केवल अपने कार्य में सफल होते हैं बल्कि संतुष्ट, प्रसन्न और शांत भी रहतें हैं। यह कार्यक्रम बुजुर्गो को अपना जीवन शांतिपूर्ण, संतुष्ट  एवं आनंदमय बनाने में सहायता देता है।

कार्यक्रम का शुल्क

इस कार्यक्रम का कुल शुल्क मात्र 5000 (पांच हजार) रुपये है। यदि किसी कारणवश कार्यक्रम की अवधि बढ़ती है तो उसी अनुपात में कुल मार्गदर्शन शुल्क भी बढ़ जाएगा।  भुगतान का तरीका बातचीत से तय किया जा सकता है । इस कार्यक्रम को संचालित करने वाले व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शक को शुल्क का 70% मासिक आधार पर प्राप्त होता है तथा बाकी 30%  व्यक्तित्व रेखांकन एवं इस कार्यक्रम के संचालन में पूर्ण तकनीकी मार्गदर्शन देने के एवज में ‘प्रयास’ को प्राप्त होता है। शुल्क का भुगतान सहमति पत्र की शर्तों से नियंत्रित होता है।

इस कार्यक्रम को कैसे आरम्भ करें?

इस कार्यक्रम का संचालन तथा प्रबंधन करने के इच्छुक सेवा निवृत परन्तु स्वस्थ व्यक्ति इस वेबसाइट से पंजीकरण फॉर्म एवं नमूना सहमति पत्र डाउनलोड करके और हमसे सीधे चर्चा करके उसे भरकर और हस्ताक्षर करके अपना पंजीकरण करा सकतें हैं और प्रतिभागियों से 50% अग्रिम शुल्क डिजिटल माध्यम से सीधे ‘प्रयास’ को जमा कराकर और उसकी शर्तों के अनुसार प्रशिक्षण प्राप्त करके इस कार्यक्रम का संचालन कर सकते हैं।