प्रयास फाउंडेशन कोर्स

(समेकित व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम)

(वयस्क एवं कार्यशील वयस्क व्यक्तियों जिनमें विभिन्न संस्थाओं में प्रबंधकीय एवं अन्य पदों पर कार्य करने वाले व्यक्ति एवं उद्यमी आदि भी शामिल हैं, के लिए विशेष रूप से परिकल्पित समेकित व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम)

(कूट संख्या:पीएफसी/02)

 

किसी भी देश का विकास एवं उसके नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता भौतिक संसाधनों की उपलब्धता और उसके प्रशासन में संलग्न मानव संसाधन की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। प्रयास फाउंडेशन कोर्स (विभिन्न उपभोक्ता समूहो की आवश्यकतानुसार उनके लिए विशेष रूप से परिकल्पित, विकसित एवं परिमार्जित एक समेकित व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम) का यह विशिष्ट प्रारूप (पीएफसी/02) एक ऐसा कार्यक्रम है जो एक मार्गदर्शित विचार-मंथन एवं स्व-निर्देशित लेखन प्रक्रिया के माध्यम से मात्र पुस्तैनी कार्य करने एवं अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां उठाने वाले या नौकरी-पेशारत वयस्कों के आचार-विचार में सकारात्मक परिवर्तन, उनकी भावनात्मक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक या नैतिक बुद्धिमत्ता में आवश्यक सुधार एवं वाह्य-नियन्त्रित व्यक्तित्व के स्थान पर एक स्व-उत्प्रेरित, स्वचालित एवं स्व-नियंत्रित व्यक्तित्व का विकास करके उनकी अभिरुचि के अनुरूप शांति, स्थिरता  एवं आनंद के साथ सफलता सुनिश्चित करता है। यह उन्हें कठिन से कठिन एवं चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी अपनी पारिवारिक, नौकरी या पेशे या उद्यम की जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक निर्वाह करने में सक्षम बनाता है। हमारा जीवन विभिन्न प्रकार की कठिनाईयों एवं चुनौतियों से भरा पड़ा है और किसी भी व्यक्ति को इसे आनंदपूर्ण, शांत एवं सफल तरीके से इसे जीने आना चाहिए। यह कार्यक्रम वयस्क प्रतिभागियों को इसके लिए पूरी तरह तैयार करता है। यह कार्यक्रम अत्यंत लचीला, अनौपचारिक एवं सस्ता है जो प्रतिभागी के जीवन की दिशा ही परिवर्तित कर देता है।)

कार्यक्रम की विशिष्ठता

इस कार्यक्रम का मूल उद्देश्य प्रतिभागी की पारिवारिक जिम्मेदारियों को सफलातापूर्वक निर्वहन के साथ-साथ अपनी नौकरी या पेशे या उद्यम में उत्कृष्ट परिणाम की प्राप्ति और तीव्र उन्नति सुनिश्चित करना है। यह प्रतिभागियों में सकारात्मक सोच एवं स्वस्थ जीवन शैली में रूचि विकसित करने के साथ-साथ उनमें पारिवारिक, संस्थागत, सामाजिक, विधिक, आर्थिक एवं राजनैतिक परिवेश की सम्यक समझ विकसित करके उनके जीवन में शांति एवं प्रसन्नता के साथ सफलता सुनिश्चित करता है। यह प्रतिभागियों को मौलिक मानवीय मूल्यों, नागरिकों के अधिकारों एवं कर्तव्यों और वांछित व्यक्तिगत, पारिवारिक, संस्थागत, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक व्यवहार से सम्बंधित रुचिकर प्रश्नों पर एक समूह में उन्मुक्त विचार-मंथन करके उचित-अनुचित का निर्णय स्वयं लेने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह उन्हें अपने जीवन में उचित व्यावहारिक परिवर्तन करने के लिए विचार-मंथन द्वारा आम-राय कायम करने के लिए प्रोत्साहित एवं उत्प्रेरित करता है।  यह प्रतिभागियों के व्यक्तित्व को इतना दक्ष, स्व-उत्प्रेरित, स्व-संचालित एवं स्व—नियंत्रित बना देता है कि वें कठिन से कठिन पारिवारिक, नौकरी या पेशा संबंधी परिस्थितियों तथा समस्याओं का समाधान बिना किसी बाहरी सहायता या निर्भरता के स्वयं वस्तु-निष्ट विश्लेषण करके और तार्किक निर्णय लेकर कर सकते हैं। यह उन्हें स्वयं को स्थाई रूप से स्व-सशक्तिकरण करने के लिए उत्प्रेरित करता है।

कार्यक्रम की आवश्यकता

पुरातन भारतीय जीवन दर्शन के अनुसार किसी भी व्यक्ति को अपने जन्म से मृत्यु तक एक शांतिपूर्ण, उद्देश्यपूर्ण, सफल एवं आनंदपूर्ण जीवन जीने के लिए ब्रह्मचर्य (जीवन यापन के लिए आवश्यक सैध्दांतिक एवं व्यवहारिक ज्ञान एवं कला-कौशल प्राप्त करने का समय), गृहस्थ (परिवार संवर्धन एवं अपने पुश्तैनी कार्य या अपनी नौकरी या पेशे के माध्यम से उसका परिपालन करने का समय), वानप्रस्थ (वन के तरफ प्रस्थान या पारिवारिक या सांसारिक मामलों से क्रमशः दूरी बनाने का समय) एवं संन्यास (पारिवारिक एवं सांसारिक वस्तुओं से पूर्ण अलगाव करके विरक्ति प्राप्त करने एवं समाज को दिशा देने का समय) आश्रमों की निश्चित जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठां, ईमानदारी  एवं सामर्थ्य के अनुसार निभाना चाहिए। ‘प्रयास व्यक्तित्व विकास सेवा प्रा. लि.’ द्वारा आरम्भ किया गया ‘प्रयास फाउंडेशन कोर्स’ किसी समूह विशेष के प्रतिभागियों की आयु और उनके जीवन के वर्तमान सोपान के उद्देश्यों को ध्यान में रखकर विशेष रूप से परिकल्पित एवं विकसित किया गया कार्यक्रम है जो उनके लिए अत्यंत उपयोगी है। इस कार्यक्रम का यह प्रारूप (पीएफसी 02) कार्यशील पेशेवरों एवं अन्य वयस्क व्यक्तियों के लिए समर्पित है और अपने आप में समेकित है।

एक सक्षम, सफल, शांतिपूर्ण, संतुष्ठ एवं आनंद से परिपूर्ण जीवन जीने के लिए व्यक्ति के व्यक्तित्व में कुछ मौलिक गुणों एवं जीवन मूल्यों का विकसित होना अत्यंत आवश्यक है। ये गुण एवं जीवन मूल्य हैं: शारीरिक श्रम की गरिमा में विश्वास, अच्छे स्वास्थ के महत्त्व की समझ एवं स्वस्थ जीवन शैली अपनाने में रूचि, सकारात्मक सोच, पारस्परिक सौहार्द, विश्व-बंधुत्व की भावना, दूसरों की बातों एवं विचारों को ध्यान के सुनने का धैर्य, दूसरों की भावनाओं एवं विचारों को समझने और उनका आदर करने की प्रवृति, दूसरों के सामने अपने विचार वस्तुनिष्ट, नम्रतापूर्वक एवं प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने की क्षमता, अपने कर्तर्ब्यों एवं जिम्मेदारियों के प्रति सजगता एवं एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में उन्हें पूरा करने की इच्छा, प्रजातान्त्रिक विचारों, सिद्धान्तों एवं प्रक्रियाओं की सामान्य समझ एवं उनमें पूर्ण विश्वास, सभी धर्मों की एक जैसी मान्यताओं की समझ एवं उनके प्रति आदर भाव, समाज में विविध-धर्मी एवं विविध विचारों वाले लोगों के शांतिपूर्ण एवं सहयोगात्मक सहअस्तित्व में विश्वास, मानवाधिकारों एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता में विश्वास, जीवन में नैतिक मूल्यों के महत्त्व में विश्वास, बुजुर्गों के प्रति आदरभाव एवं उनके अनुभव से सीखने की इच्छा, स्मरण-शक्ति बढ़ाने के लिए उपयुक्त तकनीक का प्रयोग करना, नियमित अध्ययन एवं जीवनोपयोगी नई चीजें सीखने की प्रवृति, अनुशासित एवं नियोजित जीवन का महत्त्व एवं लाभ,  समूह कार्य प्रक्रिया की समझ और समूह के सदस्य के रूप में प्रभावी ढंग से कार्य करने की दक्षता। इनके अतिरिक्त प्रतेक व्यक्ति को वर्तमान पारिवारिक, संस्थागत, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक समस्याओं की अच्छी समझ होनी चाहिए। जबतक उक्त गुणों एवं मूल्यों को व्यक्ति के कार्यशील जीवन के आरंभ मे ही उसमें विकसित न कर दिया जाय, वह अपने पारिवारिक, कार्य/पेशेवर एवं सामाजिक जीवन में सफल नहीं हो सकता है। वह न तो स्वयं अपने जीवन में प्रसन्न एवं शांत रह पायेगा और न तो दूसरों को ही प्रसन्न रख पायेगा।

अपनी अभिरुचि के विपरीत कार्य क्षेत्र का चयन, सिमित संख्या में उपलब्ध अच्छी नौकरियों के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर पाने की क्षमता का अभाव, जीवन की कठिन समस्याओं एवं कष्टों का सामना करने की क्षमता का अभाव, पलायनवादी सोच, भयंकर भौतिकवाद एवं अति-उपभोक्तावाद, मौलिक मानवीय मूल्यों की समझ की कमी, पारस्परिक मेल-मिलाप में कमी होने के लोगों के अन्दर मानसिक एवं मनोवैज्ञानिक दूरी का बढ़ना तथा वाणिज्यिक या गैर-वाणिज्यिक संस्थाओं के मानव संसाधन में अल्प-विकसित भावनात्मक,  सामाजिक एवं  नैतिक या आध्यात्मिक बुद्धिमत्ता के कारण कार्य सम्बन्धी दैनिक समस्याओं का समाधान न कर पाने के कारण संस्थागत उद्देश्यों को प्राप्त करने में असफलता के लिए जिम्मेदार हैं। वर्तमान शोध बताते हैं कि किसी की व्यक्ति की अपनी नौकरी या पेशे में सफलता प्राप्त करने में उसकी मानसिक  बुद्धिमत्ता की भूमिका मात्र 20% होती है और बाकी 80% भूमिका उसके भावनात्मक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक बुद्धिमत्ता की होती है लेकिन किसी भी शैक्षणिक तथा प्रशिक्षण संस्थान के पास इनके विकास के लिए आवश्यक समय ही नही है। प्रतिष्ठित स्कूलों, कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों के कुछ छात्रों द्वारा भयंकर नकारात्मक व्यवहार इसका द्योतक है। एक बार गूगल के मुखिया से पूंछा गया कि जिन प्रबंधकों को गूगल द्वारा करोड़ों रूपये का वार्षिक वेतन दिया जाता है उनको आप की सस्था में नौकरी देने के पूर्व लिए जाने वाले साक्षात्कार में क्या प्रश्न पूछे जातें हैं? उन्होंने बताया कि हम उनसे मात्र एक प्रश्न पूछते हैं कि उनके जीवन में सबसे बड़ी समस्या क्या और कब आई और उसका समाधान उन्होंने कैसे किया? उस समय उनकी सोच क्या थी? व्यक्ति की वास्तविक क्षमता का पता विपत्ति के समय ही चलता है।

वाणिज्यिक या गैर वाणिज्यिक संस्थाएं शैक्षणिक संस्थानों के परिसर से अपने प्रबंधको की सीधी भर्ती करती हैं अतः शैक्षणिक संस्थानों को अपने विद्यार्थियों में उक्त गुणों से परिपूर्ण भावनात्मक, सामाजिक एवं नैतिक बुद्धिमत्ता विकसित करनी चाहिए।

कोई भी नियोक्ता किसी ऐसे व्यक्ति को अपने यहाँ प्रबंधक या कर्मचारी के रूप में रखने के बारे में सोच भी नही सकता जो अपने सह्कर्मियो के साथ सहजता से कार्य नहीं कर सकता और कार्य की आवश्यकतानुसार उनका सहयोग नही ले पाता है (कमजोर भावनात्मक बुद्धिमत्ता का द्योतक) और साथ ही भ्रष्ट एवं आत्म-केद्रित भी है (कमजोर नैतिक बुद्धिमत्ता का द्योतक) चाहे वह कितना भी उच्च मानसिक बुद्धिमत्ता का धनी क्यों न हो।

व्यक्ति के व्यक्तित्व के समेकित एवं समग्र विकास की आवश्यकता के सन्दर्भ में वर्तमान शैक्षणिक परिवेश और बच्चों के व्यक्तित्व विकास प्रक्रिया की वर्तमान कमियों को ध्यान में रखकर ‘प्रयास’ ने वयस्कों की भावनात्मक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक या नैतिक बुद्धिमत्ता विकसित करने के लिए विचार-मंथन एवं स्व-लेखन आधारित एक अनूठा समेकित व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम जिसे ‘प्रयास फाउंडेशन कोर्स’ कहते है, आरम्भ किया है। यह कार्यक्रम विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों द्वारा दी जा रही शिक्षा में पूरक है एवं उनकी प्रतिष्ठा एवं प्रभावशीलता में आशातीत सुधार लाता है। यह स्व-विश्लेषण, समूह-विचार मंथन और स्व-निर्देशित लेखन जैसी प्रकियाओं का उपयोग करता है। यह एक अंशकालीन, लचीला और अनौपचारिक कार्यक्रम है जो प्रतिभागियों के नियमित कार्य में कोई भी बाधा नहीं उत्पन्न करता है। विचार-मंथन सत्र की अवधि, सप्ताह में विचार-मंथन के दिन एवं समय आदि प्रतिभागियों तथा उन्हें नामित करने वाली संस्था की आवश्यकतानुसार परिवर्तित किया जा सकता है। यह कार्यक्रम डिजिटल माध्यम से इन्टरनेट कनेक्शन वाले मोबाइल फ़ोन द्वारा सचालित किया जाता है।

इस कार्यक्रम के किसी बैच में प्रवेश पूरा होने और उसके आरंभ किये जाने के तुरंत बाद (प्रारंभिक 15 दिनों के अन्दर) प्रतिभागियों की मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक या नैतिक बुद्धिमत्ता के वर्तमान स्तर एवं उनके व्यक्तित्व की अन्य विशिष्टताओं एवं कमियों का पता लगाने के लिए उनका समूह व्यक्तित्व परीक्षण, कई समय-सिद्ध मनोवैज्ञानिक उपकरणों के माध्यम  से किया जाता है और उनके प्रारंभिक (प्रवेश-पूर्व) व्यक्तित्व का एक खाका (आरंभिक व्यक्तित्व लेखांकन) तैयार किया जाता है और कोर्स का संचालन कर रहे व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शक को प्रतेक प्रतिभागी के व्यक्तित्व की विशिष्टताओं से अवगत करा दिया जाता है। व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शक उनपर विशेष नजर रखता है और ‘प्रयास’ की सलाह के अनुसार उनका मार्गदर्शन करता है। कार्यक्रम के समाप्त होने के पूर्व (कार्यक्रम समाप्त होने के 15 दिन पूर्व) इस कार्यक्रम में भाग लेने के कारण प्रतिभागियों के व्यक्तित्व में हुए वास्तविक परिवर्तनों का पता लगाने के लिए प्रतेक प्रतिभागी का पुनः व्यक्तित्व रेखांकन परीक्षण किया जाता है और उसके व्यक्तित्व का संशोधित खाका तैयार किया जाता है। ‘प्रयास’ द्वारा प्रतेक प्रतिभागी के व्यक्तित्व के आरंभिक और अंतिम खाके की तुलना करके उसकी एक ‘व्यक्तित्व विकास रपट’  तैयार की जाती है। यह रपट इस कार्यक्रम में भाग लेने के कारण उसके व्यक्तित्व में हुए महत्वपूर्ण परिवर्तनों को इंगित करती है और भविष्य में आवश्यक सुधार के किये कुछ सुझाव भी देती है जिसे अभिभावकों या संस्थाओं द्वारा लागू किया जा सकता है। यह पूरी प्रक्रिया स्मार्ट फ़ोन के माध्यम से संपन्न की जाती है।  इस कार्यक्रम के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है की इसे सफलतापूर्वक पूरा करने वाले प्रतिभागी अपने जीवन, शिक्षा, परिवार और समाज की दैनिक समस्याओं का पूरे विश्वास के साथ सामना करने और उनका समाधान करने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाय।

कार्यक्रम का उद्देश्य

इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों में निम्न प्रकार की विशेष क्षमताओं का विकास करना है जो जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए सकारात्मक एवं स्व-उत्प्रेरित आचरण अपनाने के लिए आवश्यक हैं।

  1. अपनी सारी ऊर्जा एवं ध्यान को एकाग्र करके किसी कार्य पर लगाने की क्षमता।
  2. नई घटनाओं, परिस्थितियों, तकनीकों एवं प्रक्रियों को समझने की जिज्ञाशा और उनसे सीख लेने की प्रवृति।
  3. दूसरों के विचारों को पूरी तन्मयता से सुनकर, उनका तार्किक विश्लेषण करके और उनके परिणाम पर विचार करने के बाद अपने विचार दूसरों के सामने तार्किक परन्तु शालीन ढंग से रखने की क्षमता।
  4. अपनी अभिरुचि एवं रुझान के अनुरूप पारिवारिक, संस्थागत एवं सामाजिक जीवन एवं अपने कार्य या पेशे में सफलता प्राप्त करने की क्षमता प्राप्त करने की दक्षता।
  5. अपने कार्य या पेशे में सफलता प्राप्त करने में सहायक परिवेश निर्मित कर पाने की क्षमता।
  6. उत्कृष्ट उत्पादकता प्राप्त करने के लिए अपनी ऊर्जा और समय का बिना अपव्यय किये अपने सिमित समय का सदुपयोग करने की क्षमता।
  7. किसी भी कार्य के लिए पूरे प्रयास करने के बाद प्राप्त परिणाम को सहर्ष स्वीकार करने की प्रवृति।

उक्त क्षमताओं के विकसित हो जाने के फलस्वरूप प्रतिभागी का वाह्य-नियंत्रित व्यक्तित्व स्व-उत्प्रेरित, स्व-सचालित एवं स्व-नियंत्रित एवं हो जाता है और अन्य लोगों पर उसकी निर्भरता काफी कम हो जाती है।  किसी भी संस्था के प्रबंधकों एवं कर्मचारियों के व्यक्तित्व में आये इस सकारात्मक परिवर्तन के कारण संस्थाओं द्वारा किये गए प्रयास का प्रभाव काफी बढ़ जाता है और प्रतिभागी के कार्य का परिणाम उत्कृष्ट हो जाता है।  प्रतिभागियों के परिवार के अन्य सदस्य, संबंधी, मित्र एवं अन्य व्यक्ति जो उनसे दिन प्रति दिन संपर्क में आते  है, भी उनके आचार-विचार में सकारात्मक परिवर्तन देखकर काफी प्रसन्न होते है। इससे प्रतिभागी का आत्म-विश्वास काफी बढ़ जाता है और स्वयं को मिली जिम्मेदारी को वह पूरे उत्साह से स्वीकार करता है और उसके निर्वहन के लिए पूरा प्रयास करता है।

कार्यक्रम का पाठ्यक्रम

iइस कार्यक्रम के प्रतिभागियों को दैनिक जीवन से सम्बंधित निम्न विषयों से सम्बंधित रुचिकर प्रश्नों (विचार-विन्दुओं) पर विचार मंथन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और उन्हें प्रतिदिन अपने घर से अपनी इच्छानुसार किसी भी एक विषय पर कम से कम एक पृष्ट लिखकर पोस्ट करना होत्ता है। उन्मुक्त विचार-मंथन एवं स्व-निर्देशित लेखन प्रक्रिया प्रतिभागियों के अन्दर जीवन की व्यावहारिक समस्याओं पर वस्तुनिष्ट एवं तार्किक सोच-विचार करके उनका उचित समाधान करने की क्षमता विकसित कर देती है। पाठ्यक्रम को प्रतिभागियों से प्राप्त प्रतिपुष्टि के आधार पर समय समय पर अद्यतन भी किया जाता है।

  1. कार्य एवं संस्थागत परिवेश का व्यक्तित्व विकास में भूमिका: समूह में कार्य करने, पारस्परिक व्यवहार एवं कार्य की सम्बंधित व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में भूमिका,  जीवन की गुणवत्ता एवं देश के आर्थिक विकास में उसके मानव संसाधन की गुणवत्ता की भूमिका,  संस्थागत उद्देश्यों की प्राप्ति में प्रबंधन की भूमिका,  संस्थागत उद्देश्यों की प्राप्ति में कर्मचारियों की भूमिका तथा संस्था की सफलता के लिए मजदूरों और  प्रबंधन में सामंजस्य का महत्त्व।
  2. मनोवैज्ञानिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर मानसिक स्थिति या सोच का प्रभाव : हमारी आंतरिक सोच का हमारे स्वास्थ्य एवं प्रसन्नता पर प्रभाव, सामने आने वाली प्रतेक परिस्थिति में पूर्णतया शांत एवं प्रसन्न रहने के लिए अपनी सोच को कैसे ठीक रखें? सकारात्मक सोच, स्व-सुझाव एवं ध्यान द्वारा शरीर की आनुवंशिक संरचना में सकारात्मक परिवर्तन करके अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करने की संभावना।
  3. अपने व्यक्तित्व की विशिष्टत्ताओं को जानने और समझने के लाभ: स्वयं को समझने के लिए अपने व्यक्तित्व, अभिरुचि, रुझान, अन्य विशेषताओं एवं कमियों को वैज्ञानिक तरीके से समझने का महत्त्व और विभिन्न प्रकार की बुद्धिमत्ता के स्तर का महत्व और उसमे सुधार की आवश्यकता, सफलता का मनोविज्ञान, व्यवहार परिवर्तन की प्रक्रिया एवं उसका महत्त्व, एक सहकारी एवं सहभागी समाज के निर्माण में भावनात्मक, सामाजिक और आध्यात्मिक बुद्धिमत्ता की भूमिका तथा अपने सकारात्मक एवं सहयोगात्मक व्यवहार से अपने चारों तरफ एक नैसर्गिक वातावरण के निर्माण की संभावना।
  4. व्यक्तित्व विकास के विभिन्न आयाम: पारिवारिक परिवेश, शिक्षण एवं प्रशिक्षण- औपचारिक तथा अनौपचारिक; सतत सीखने एवं स्व-विकास की प्रक्रिया में सहयोगी परिवेश का महत्त्व,  अपने कार्य पर अपनी उर्जा के केन्द्रीकरण का लाभ; विद्या एवं बुद्धि  के सामंजस्य की आवश्यकता एवं उसका लाभ,  भावनात्मक  परिपक्वता की प्राप्ति और जीवन में  नैतिक मूल्यों के महत्व की समझ।
  5. व्यक्तिगत सोच एवं व्यवहार: कर्म का सिद्धान्‍त एवं भाग्य; मानव विकास में कार्य या सृजनात्मक संलग्नता की भूमिका, समय प्रबंधन का महत्त्व; मोबाइल/इन्टरनेट के उपयोग का लाभ एवं हानि और इसके उचित उपयोग का महत्व; असफलता से सफलता की तरफ; जीवन में तनाव के कारक एवं उससे मुक्ति एवं उसके प्रबंधन के तरीके; नकारात्मक सोच के श्रोत एवं उससे हानि और सकारात्मक सोच से लाभ; अपने भाग्य का स्व-निर्माण, अपरिवर्तनशीलता या रुढ़िवादिता से हानि; खेलभावना विकसित करने के लाभ, जीवन में सफलता प्राप्त करने में सृजनशीलता एवं कल्पनाशीलता की भूमिका एवं खेल-कूद से व्यवहार परिवर्तन; सृजन; सामाजिक स्वीकार्यता की मानवीय आवश्यकता; व्यक्तिगत व्यवहार में सहजता एवं  सरलता का महत्त्व,  आर्थिक विकास में उद्यमशीलता का महत्त्व तथा व्यक्ति में प्रबंधकीय, वित्तीय एवं विधिक समझ विकसित करने का महत्त्व।
  6. धार्मिक मान्यताएं एवं व्यवहार: विभिन्न धर्मों की मौलिक मान्यताएं; प्रशासनिक आचरण में धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता एवं महत्त्व, विश्व बंधुत्व की अवधारणा; मानव समानता का आधार; मानवाधिकार; नैतिक आचरण; भ्रष्टाचार न करना; किसी को हानि न पहुचाना, सामाजिक समरसता एवं शान्ति के लाभ।
  7. सामाजिक संबंध एवं व्यवहार: मानव एक सामाजिक प्राणी; परिवारिक सम्बन्ध; सगे संबधी, सामाजिक संबंध; व्यक्ति की अच्छाई में विश्वास; मित्रता; भ्रष्टाचार का समाज विशेषकर ग़रीबों पर कुप्रभाव, धार्मिक एवं सामाजिक कुरीतियों का प्रभाव, सामाजिक सुधार की आवश्यकता एवं उसके लाभ।
  8. आर्थिक परिवेश एवं व्यवहार: आर्थिक सुरक्षा में बचत एवं निवेश की भूमिका; आर्थिक विषमता का सामाजिक समरसता पर प्रभाव; बेरोजगारी के कारण एवं उनका समाधान, व्यक्ति में असंतोष के कारण एवं उनका समाधान; विभिन्न मुद्राएँ; अंतर्राष्ट्रीय व्यापार,  अति उपभोक्तावाद के नुकसान, सुरक्षित भविष्य के लिए  बचत का सही उपयोग का महत्व और पैसे के महत्त्व की सीमा।
  9. राजनैतिक प्रणाली एवं वर्तमान परिवेश: वर्तमान प्रजातांत्रिक परिवेश; मतदान प्रक्रिया; केद्र एवं राज्य सरकारों का गठन; नागरिकों के अधिकार एवं कर्तव्य,  प्रशासन की गुणवत्ता में जनता की जागरुकता की भूमिका, विविध-धर्मी समाज में प्रशासन में धर्मनिरपेक्ष विचारों का महत्त्व।
  10. विधिक व्यवस्था : क़ानून व्यवस्था, अपराध नियंत्रण, अपराध का MANIOVYGYAमनोविज्ञान, सिविल प्रक्रिया संहिता, अपराध प्रक्रिया संहिता, क़ानून व्यवस्था की वर्तमान समस्याएं, चुनौतियां एवं समाधान ।
  11. संस्थागत समूह कार्य-प्रक्रिया: समाज में संस्थाओं की भूमिका, संस्थाओं के स्वभाव एवं प्रकार, सामूहिक कार्य-प्रक्रिया में व्यक्ति की भूमिका, व्यक्तिगत और संस्थागत उद्देश्यों में सामजस्य की आवश्यकता एवं महत्त्व, संस्थागत कार्य परिवेश विशेषकर समूह कार्य में भावनात्मक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक बुद्धिमत्ता की भूमिका और संस्था के वित्तीय स्वास्थ्य एवं प्रतिष्ठा पर इसका प्रभाव।
  12. निर्णय प्रकिया में वस्तुनिष्ठता की भूमिका: समस्याएं एवं मानव जीवन की गुणवत्ता, समस्या-समाधान प्रक्रिया, निर्णय क्षमता की आवश्यकता, वस्तुनिष्ठता का स्वभाव, निर्णय की गुणवत्ता में वस्तुनिष्ठता की भूमिका तथा तार्किक निर्णयों का हमारे जीवन पर प्रभाव ।
  13. सामान्य ज्ञान: शासन व्यवस्था; देश एवं राज्य; भाषाएँ; अर्थ-व्यवस्था में कृषि की भूमिका; स्वच्छ पर्यावरण का महत्व, प्रदूषण के प्रकार, स्वाथ्य एवं बीमारी नियंत्रण; संतुलित एवं पौष्टिक भोजन का महत्त्व; योग एवं प्राणायाम का महत्त्व; अच्छी नीद का महत्त्व
  14. अन्य विषय : प्रतिभागियों की विशेष आवश्यकता के अनुसार अन्य उपयोगी विषयों पर चर्चा की जाती है। इस समय कार्यशील वयस्क अपनी नौकरी में उन्नति एवं उद्यमिता का रास्ता चुनने में ज्यादा रूचि प्रदर्शित कर रहें हैं अतः प्रतिभागियों आवश्यकतानुसार इसमें आवश्यक परिवर्तन किया जाता है।

समय समय पर प्रतिभागियों से प्राप्त फीडबैक (प्रतिपुष्टि) को ध्यान में रखकर उक्त पाठ्यक्रम में समुचित परिवर्तन किया जाता है ताकि इसकी उपादेयता बनी रहे।

कोर्स संचालन एवं प्रबंधन

isइस कार्यक्रम का संचालन एवं प्रबंधन स्वतंत्र ‘व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शकों’ या इच्छुक संस्थाओं द्वारा अपने नियमित प्रबंधकों के माध्यम से अपने यहाँ हमारे मार्गदर्शन में किया जाता है। ‘व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शक’ के रूप में इस कार्यक्रम को चलाने के लिए इच्छुक व्यक्ति एवं अपने प्रबंधकों या कर्मचारियों के लिए इस कोर्स का संचालन एवं प्रबंधन करने के इच्छुक संस्थाओं को हमारे साथ एक ‘सहमति पत्र’ पर हस्ताक्षर करना पड़ता है और आवश्यक पंजीकरण शुल्क जमा करके स्वयं को ‘प्रयास’ के साथ पंजीकृत कराकर व्यक्तिगत या संथागत सदस्यता प्राप्त करनी होती है। सहमति पत्र में दोनों पक्षों (प्रयास तथा इस कार्यक्रम को चलाने के इच्छुक व्यक्ति या संस्था) के कर्तव्य एवं जिम्मेदारियां स्पष्ट रूप से इंगित की गई है।   ‘प्रयास’ की जिम्मेदारी समय समय पर समुचित तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करना और इसे चलाने वाले व्यक्ति या संस्था की जिम्मेदारी इसके संचालन के सम्बंधित सारे कार्यों का निर्वहन करना होता है। आपसी सहमति से इसकी शर्तों में परिवर्तन किया जा सकता है ।

संस्थाएं अपने नामित प्रबंधकों को ‘प्रयास’ से प्रशिक्षण दिलाकर इस कार्यक्रम का संचालन एवं प्रबंधन करती हैं जिसके एवज में उन्हें शुल्क का 70 % प्राप्त होता है और इसका बाकी 30% व्यक्तित्व निर्धारण एवं तकनीकी मार्गदर्शन हेतु “प्रयास” को प्राप्त होती है। संस्था अपने हिस्से (70%) में से ही कोर्स को संचालित करने वाले प्रबंधक को आवश्यक मानदेय आदि का भुगतान करती है। इसी प्रकार कोई व्यक्ति भी ‘प्रयास’ से निशुल्क प्रशिक्षण प्राप्त करके हमारे अंशकालीन व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शक के रूप में सहमति पत्र की शर्तों पर isइस कोर्स का संचालन कर सकता है।

गुणवत्ता नियंत्रण

कार्यक्रम के दौरान निश्चित अंतराल एवं इसके अंत में प्रतेक प्रतिभागी एवं कोर्स का संचालन करने वाले शिक्षक/व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शक से कार्यक्रम को चलाने के तरीकों, चर्चा बिन्दुओं और कोर्स की उपादेयता के बारे में लिखित सुझाव लिए जाते हैं और उनपर सम्यक विचार करके चालू कार्यक्रम एवं अगले कार्यक्रम में आवश्यक सुधार किया जाता है। बदलती आवश्यकता के अनुसार ’प्रयास’ द्वारा school इस कार्यक्रम में आवश्यक सुधार किये जातें है और स्वतंत्र ‘व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शकों’ या संस्थाओं द्वारा नामित प्रबंधकों को समय समय पर निशुल्क पुनः प्रशिक्षण भी दिया जाता है ताकि कार्यक्रम की गुणवत्ता बनी रहे।

कार्यक्रम की अवधि

इस कार्यक्रम की सामान्य अवधि 6 माह है जिसके अंतर्गत सप्ताह में 6 दिन प्रतेक दिन 90 मिनट के विचार-मंथन सत्र आयोजित किये जातें हैं। प्रतिभागियों एवं इसे संचालित करने वाले ‘व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शकों और संस्थाओं की अपनी आवश्यकतानुसार विचारमंथन सत्र की अवधि और सप्ताह में इसके संचालन के दिनों में परिवर्तन करके इसकी अवधि में परिवर्तन किया जा सकता है जिसके लिए ‘प्रयास’ की पूर्व अनुमति आवश्यक होगी।

कोर्स परिकल्पना एवं निर्देशन

इस कोर्स के परिकल्पक एवं निर्देशक डॉ. राम चन्द्र राय हैं  जो ‘भारतीय रेलवे लेखा सेवा’ जो एक केद्रीय सिविल सेवा है के सेवा निवृत अधिकारी है। उन्होंने अपनी स्कूल एवं कॉलेज की शिक्षा पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक ग्रामीण इलाके से पूरा करने के बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी से भौतिकी में बीएससी (आनर्स), एमबीए तथा पीएचडी की उपाधि प्राप्त किया। उसके बाद 7 वर्ष तक एक सरकारी औद्योगिक परामर्शदाता संस्था में वित्त एवं प्रबंध परामर्शदाता के रूप में कार्य करने के बाद केद्रीय सिविल सेवा में चयनित होकर भारतीय रेलवे लेखा सेवा में 32 वर्ष कार्य करके भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव के समकक्ष पद (प्रमुख वित्त सलाहकार) से सेवा निवृत होकर इस समय ‘प्रयास’ के साथ  समेकित व्यक्तित्व विकास कार्य हेतु पूरी तरह समर्पित हैं। वित्त एवं प्रबंधन परामर्शदाता के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने नोएडा के वित्त पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारतीय रेलवे की सेवा करते हुए इन्होने नेशनल अकादमी ऑफ़ इंडियन रेलवे वडोदरा में प्रोफेसर एवं सिनीयर प्रोफेसर के रूप में भी सात वर्ष तक कार्य किया है और इन्हें प्रतिभागियों के व्यवहार परिवर्तन में सक्षम पाठ्यक्रमों की परिकल्पना और निर्देशन का लम्बा अनुभव है। यह कार्य वें एक समाज सेवा की भावना से कर रहें हैं।

इस कार्यक्रम का मौलिक दर्शन

इस कार्यक्रम का मौलिक दर्शन मानव व्यवहार का यह महत्वपूर्ण तथ्य है कि यदि किसी व्यक्ति को अपने सोच-विचार एवं व्यवहार को परिवर्तित करने के लिए किसी व्यक्ति द्वारा निर्देशित किया जाय तो वह अहंकारवश उसका यथासंभव प्रतिरोध करता है और इसके लिए जल्दी तैयार नहीं होता है। यदि वह किसी मजबूरी में या भयवश वह इसके लिए तैयार भी हो जाता है तो उसके व्यवहार में यह परिवर्तन CHIRSTHAAIEEचिरस्थायी नहीं होता और संबंधित भय या मजबूरी के समाप्त होते ही वह पुनः अपने पुराने व्यवहार पर लौट आता है।  परन्तु इसके विपरीत यदि वह स्वयं या किसी समूह में अन्य लोगों के साथ चर्चा, अन्वेषण और विश्लेषण से इस निष्कर्ष पर पहुचता है कि अपने आचार-विचार में वांछित परिवर्तन से उसे लाभ होगा और इस कारण स्वेच्छा से वह अपने आचार-विचार में परिवर्तन करता है तो यह परिवर्तन स्थायी होता है। चूँकि इस कार्यक्रम में विचार-मंथन सत्र का संचालन करने वाला व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शक प्रतिभागियों को एक किसी विषय विशेष के विभिन्न आयामों पर समूह में विचार मंथन करके वांछित व्यवहार के संदर्भ में एक आम-राय कायम करने के लिए मात्र उत्प्रेरित करता है और अपनी राय उनके उपर थोपता नहीं है अतः इस बात की संभावना अधिक होती है कि उस समूह के सदस्य आम-सहमति से निर्धारित व्यवहार को अपनाने का निर्णय स्वेच्छा से लें और वास्तव में अपने व्यवहार में वैसा परिवर्तन ले आयें। एक बार व्यक्ति के सोच एवं व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन आ जाय तो उसके सफल होने की संभावना काफी बढ़ जाती है और दूसरों पर उसकी निर्भरता कम हो जाती है।

कार्यक्रम से प्रतिभागियों को संभावित लाभ

इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूर्ण करने वाले प्रतिभागियों को होने वाले संभावित लाभों में, अपने व्यक्तित्व की बेहतर समझ, आत्म-अनुशासन में सुधार, बेहतर समय-प्रबंधन, अपने परिवार के सदस्यों, सगे-संबधियों, मित्रों, और अन्य लोगों के साथ बेहतर सम्बन्ध,  नौकरी-पेशे में सफलता, भविष्य के जीवन का बेहतर प्रबंधन, आनंद तथा सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि आदि शामिल हैं। यह कार्यक्रम प्रतिभागी के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है और जीवन की कठिन से कठिन समस्याओं और चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करने में सक्षम बनाता है। अतः इस कार्यक्रम में अपने प्रबंधकों एवं कर्मचारियों को नामित करने वाली संस्थाओं की उत्पादकता में अत्यधिक वृद्धि हो जाती है। हमारा जीवन विभिन्न समस्याओं, कठिनाईयों और चुनौतियों से भरा होता है और यदि हम बिना अपना संयम खोये इनका समाधान कर लें तो हम न केवल अपने कार्य में सफल होते हैं बल्कि संतुष्ट, प्रसन्न शांत और स्थिर भी रहतें हैं। यह कार्यक्रम इसमें हमारी सहायता करता है। इस कोर्स का महत्त्व इस लिए और भी बढ़ जाता है कि प्रतिभागियों की सभी शंकाओं का समाधान सुनिश्चित किया जाता है और इस कोर्स की समाप्ति के बाद इसके प्रतिभागियों के लिए दीर्घकालिक व्यक्तिगत मार्गदर्शन सेवा भी उपलब्ध कराई जाती है जिसके लिए सामान्य आर्थिक क्षमता वाले प्रतिभागियों को मात्र 1000 (एक हजार) रुपये प्रति वर्ष एवं आर्थिक रूप से कमजोर प्रतिभागियों को मात्र 500 (पांच सौ) रूपये प्रति वर्ष देना पड़ता है।

कार्यक्रम का शुल्क

वर्तमान में इस कार्यक्रम का कुल शुल्क मात्र 5000 (पांच हजार) रूपये है। यदि किसी कारणवश कार्यक्रम की अवधि बढ़ती है तो उसी अनुपात में इसका शुल्क भी बढ़ जाएगा।  हमारे मार्गदर्शन में इस कार्यक्रम को संचालित करने वाली संस्थाओं को इस शुल्क का 30% का भुगतान ‘प्रयास को प्रतिभागियों के व्यक्तित्व का निर्धारण, पूर्ण तकनीकी सहायता एवं मार्गदर्शन प्रदान करने के एवज प्राप्त होता है बाकी राशि में से इस कार्यक्रम को संचालित करने वाले प्रबंधक को मानदेय का भुगतान करना पड़ता है। भविष्य में इस कार्यक्रम के शुल्क में परिवर्तन किया जा सकता है परन्तु वह नए बैच से लागू होगा। सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के पूर्व विशेष वित्तीय व्यवस्था पर सहमति बनाई जा सकती है और इन शर्तों को सहमति पत्र में शामिल किया जा संकता है। कुल 15 सीट में से 10 सीटें पूरी फीस वाली है और 05 सीटें आर्थिक रूप से कमजोर अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित हैं जिनका शुल्क अभ्यर्थी की वास्तविक भुगतान क्षमता को ध्यान में रखकर ‘प्रयास’ की पूर्व सहमति से निर्धारित किया जाता है।

इस कार्यक्रम को कैसे आरम्भ करें?

अपने कर्मचारियों और अधिकारियों/प्रबंधकों के लिए इस कार्यक्रम का संचालन तथा प्रबंधन करने के इच्छुक संस्था इस वेबसाइट से पंजीकरण फॉर्म एवं नमूना सहमति पत्र डाउनलोड करके और हमसे चर्चा करके उसे भरकर और हस्ताक्षर करके आवश्यक पंजीकरण शुल्क जमा करके हमारे साथ अपना पंजीकरण करा सकती है और उसके बाद शुल्क का 30% का एकमुश्त भुगतान करके और प्रशिक्षण प्राप्त करके इसे आरम्भ कर सकतें हैं। ‘व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शक’ के रूप में कार्य करने के इच्छुक व्यक्ति संबंधित प्रतिभागियों से कुल शुल्क का 50 प्रतिशत सीधे ‘प्रयास’ को जमा कराकर और आवश्यक प्रशिक्षण प्राप्त करके इस कार्यक्रम को आरम्भ कर सकतें हैं।