प्रयास फाउंडेशन कोर्स

(समेकित व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम)

विद्यार्थियों हेतु

(कूट संख्या: पीएफसी/01)

(नवयुवक एवं विद्यार्थी किसी भी देश के भविष्य होतें हैं। प्रयास फाउंडेशन कोर्स (विभिन्न उपभोक्ता समूहो की आवश्यकतानुसार उनके लिए विशेष रूप से परिकल्पित, विकसित एवं परिमार्जित एक समेकित व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम) का यह प्रारूप जो विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से विकसित किया गया है, एक ऐसा अनूठा कार्यक्रम है जो प्रतिभागी विद्यार्थियों के जीवन की वास्तविक समस्याओं एवं दैनिक मुद्दों पर मार्गदर्शित विचार-मंथन एवं स्व-निर्देशित लेखन प्रक्रिया के माध्यम से उनकी आचार-विचार में सकारात्मक परिवर्तन, उनकी भावनात्मक, सामाजिक एवं नैतिक बुद्धिमत्ता में आवश्यक सुधार एवं वाह्य-नियन्त्रित व्यक्तित्व के स्थान पर स्व-उत्प्रेरित, स्वचालित एवं स्व-नियंत्रित व्यक्तित्व का विकास करके उनके जीवन में उनकी अभिरुचि के अनुरूप शांति एवं आनंद के साथ सफलता सुनिश्चित करता है। यह विद्यार्थियों को अति कठिन एवं चुनौतीपूर्ण परिवेश में भी स्वयं ही शैक्षणिक सफलता प्राप्त करने के लिए सक्षम बना देता है। हमारा जीवन कठिनाईयों एवं चुनौतियों से भरा पड़ा है और किसी भी व्यक्ति को इसे आनंदपूर्ण, शांत, स्वस्थ एवं सफल तरीके से इसे जीने आना चाहिए। यह कार्यक्रम प्रतिभागी विद्यार्थियों को इसके लिए पूरी तरह तैयार करता है। यह कार्यक्रम अत्यंत लचीला, अनौपचारिक एवं सस्ता है जो प्रतिभागी के जीवन की दिशा ही परिवर्तित कर देता है और पूर्णतया डिजिटल माध्यम (इन्टरनेट कनेक्शन वाले स्मार्ट मोबाइल फ़ोन) से आयोजित किया जाता है।)

कार्यक्रम की विशिष्ठता

ब्रह्मचर्य आश्रम के मौलिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए समर्पित यह छः मासिक समेकित व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम जिसे ‘प्रयास फाउंडेशन कोर्स’ कहा जाता है, विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से विकसित किया गया है। यह प्रतिभागियों में सकारात्मक सोच एवं स्वस्थ जीवन शैली में रूचि विकसित करने के साथ-साथ उनके पारिवारिक, संस्थागत, सामाजिक, विधिक, आर्थिक एवं राजनैतिक परिवेश की सम्यक समझ विकसित करके उनके जीवन में शांति एवं प्रसन्नता के साथ सफलता सुनिश्चित करता है। यह प्रतिभागियों को मौलिक मानवीय मूल्यों, नागरिकों के अधिकारों एवं कर्तव्यों और वांछित व्यक्तिगत, पारिवारिक, संस्थागत, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक व्यवहार से सम्बंधित रुचिकर प्रश्नों पर विचार-मंथन करके उचित-अनुचित का निर्णय स्वयं लेने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह उन्हें अपने अध्ययन के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए और उसके बाद अपनी रूचि के अनुरूप नौकरी या पेशा अपनाने के लिए अपने व्यवहार में समुचित परिवर्तन करने के लिए सामूहिक निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह प्रतिभागियों के व्यक्तित्व को इतना सक्षम, स्व-निर्देशित, स्व-नियन्त्रित एवं स्व-उत्प्रेरित बना देता है कि वें स्वयं कठिन से कठिन परिस्थितियों एवं समस्याओं का समाधान वस्तुनिष्ठ विश्लेषण और तार्किक निर्णय लेकर कर लेतें हैं और दूसरों पर उनकी निर्भरता काफी कम हो जाती है।

कार्यक्रम की आवश्यकता  

पुरातन भारतीय जीवन दर्शन के अनुसार किसी भी व्यक्ति को अपने जन्म से मृत्यु तक एक शांतिपूर्ण, सफल एवं आनंदपूर्ण जीवन जीने के लिए ब्रह्मचर्य (जीवन यापन के लिए आवश्यक सैध्दांतिक एवं व्यवहारिक ज्ञान अर्जित करने का समय), गृहस्थ (परिवार संवर्धन एवं पालन एवं अन्य जिम्मेदारियां उठाने का समय), वानप्रस्थ (वन के तरफ प्रस्थान या पारिवारिक एवं सांसारिक मामलों से क्रमशः दूरी बनाने का समय) एवं संन्यास (पारिवारिक एवं सांसारिक वस्तुओं से पूर्ण अलगाव एवं विरक्ति प्राप्त करने का समय) आश्रमों के कर्तब्यों को पूरी निष्ठां, ईमानदारी  एवं सामर्थ्य के अनुसार निभाना चाहिए। ‘प्रयास व्यक्तित्व विकास सेवा प्रा. लि. द्वारा आरम्भ किया गया ‘प्रयास फाउंडेशन कोर्स’ के विभिन्न प्रारूप किसी समूह विशेष के प्रतिभागियों की आयु और उनके जीवन के सोपान के लिए इंगित उद्देश्यों को ध्यान में रखकर विशेष रूप से परिकल्पित एवं विकसित किये गये हैं ताकि ये उनके लिए उपयोगी हो सकें।

एक सक्षम, सफल, शांतिपूर्ण, संतुष्ठ एवं आनंद से परिपूर्ण जीवन जीने के लिए व्यक्ति के अंदर कुछ व्यक्तिगत गुणों एवं जीवन मूल्यों का विकसित होना आवश्यक है। ये गुण एवं जीवन मूल्य हैं: शारीरिक श्रम की गरिमा में विश्वास, अच्छे स्वास्थ के महत्त्व की समझ एवं स्वस्थ जीवन शैली अपनाने में रूचि, सकारात्मक सोच, अंतर-मानव सौहार्द, भाई-चारा, दूसरों की बातों को ध्यान के सुनने का धैर्य, दूसरों की भावनाओं एवं विचारों को समझने और उनका आदर करने की इच्छा, दूसरों के सामने अपने विचार वस्तुनिष्ट एवं प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने की क्षमता, अपने कर्तर्ब्यों एवं जिम्मेदारियों के प्रति सजगता एवं एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में उन्हें पूरा करने की इच्छा, प्रजातान्त्रिक विचारों, सिद्धान्तों एवं प्रक्रियाओं की सामान्य समझ एवं उनमें विश्वास, सभी धर्मों की एक दूसरे से मिलती-जुलती मान्यताओं की समझ, उनके प्रति आदर भाव तथा बहु-धर्मी एवं बहु-सांस्कृतिक समाज के सहअस्तित्व में विश्वास, मानवाधिकार एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता में विश्वास, जीवन में नैतिक मूल्यों के महत्त्व में विश्वास, बुजुर्गों के प्रति आदरभाव एवं उनके लम्बे अनुभव से सीखने की ललक, स्मरण-शक्ति बढ़ाने के लिए उपयुक्त तकनीक का प्रयोग करना, नियमित अध्ययन एवं जीवनोपयोगी नई चीजें सीखने की प्रवृति हैं। इनके अतिरिक्त प्रतेक व्यक्ति को वर्तमान पारिवारिक, संस्थागत, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक समस्याओं की अच्छी समझ होनी चाहिए। जबतक उक्त गुणों एवं मूल्यों को व्यक्ति के जीवन के आरम्भ मे ही विकसित न कर दिया जाय, वह न तो अपने अध्ययन के क्षेत्र में सफल होगा और anन तो अपने पारिवारिक, पेशेवर एवं सामाजिक जीवन में। वह न तो स्वयं प्रसन्न एवं शांत रह पायेगा और न तो दूसरों को ही प्रसन्न रख पायेगा। विद्यार्थी जीवन में भी सफलता के लिए कुछ विशिष्ट गुणों की आवश्यकता होती है।

वर्तमान में विभिन्न स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय एवं अन्य समकक्ष शैक्षणिक संस्थान अपने विद्यार्थियों एवं प्रशिक्षणार्थीयों को विभिन्न तकनीकी एवं सामान्य विषय पूर्व-निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाते हैं और उनके अर्जित ज्ञान का मूल्याकन सेमेस्टर, अर्धवार्षिक एवं वार्षिक परीक्षाओं के माध्यम से करते हैं लेकिन वें शायद ही  कभी यह जाँच कर पातें हैं कि जीवन की वास्तविक चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करने के लिए उनके व्यक्तित्व का समेकित विकास हो भी रहा है या नहीं? तीव्र गति एवं परीक्षा आधारित शिक्षा व्यवस्था एवं नौकरियों के लिए गला-काट प्रतिस्पर्धा के वर्तमान युग में बच्चों को मौलिक मानवीय मूल्यों को आत्म-सात करने का समुचित समय ही नहीं मिल पा रहा है और वें एक रोबोट की तरह अपना जीवन जिए जा रहें हैं और एक अंधी दौड़ में शामिल हो गए हैं। जब एक नकारात्मक सोच वाला बच्चा वयस्क बनता है और जब उसका सामना असफलताओं से होता है तो वह अपने मन की शांति एवं प्रसन्नता खो देता है और अवसाद से ग्रस्त होकर अपने जीवन को मूल्यहीन समझने लगता है और कभी कभी तो आत्म-ह्त्या जैसा भयंकर कदम भी उठा लेता है।

अध्ययन पूर्ण करने के बाद सिमित संख्या में उपलब्ध अच्छी नौकरियों के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर पाने की क्षमता का अभाव, जीवन की कठिन समस्याओं एवं कष्टों का सामना करने की क्षमता का अभाव, पलायनवादी सोच, भयंकर भौतिकवाद एवं अति-उपभोक्तावाद से ग्रसित होना, मौलिक मानवीय मूल्यों की समझ की कमी, पारस्परिक मेल-मिलाप में कमी होने एवं अहंकार के कारण लोगों के अन्दर मनोवैज्ञानिक दूरी का बढ़ना तथा अल्प-विकसित भावनात्मक, सामाजिक एवं  नैतिक या आध्यात्मिक बुद्धिमत्ता के कारण दैनिक समस्याओं का समाधान न कर पाना वर्तमान स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं। वर्तमान शोध बताते हैं कि किसी भी  व्यक्ति की अपनी नौकरी या पेशे में सफलता में उसकी मानसिक  बुद्धिमत्ता की भूमिका मात्र 20% होती है और बाकी 80% भूमिका उसके भावनात्मक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक बुद्धिमत्ता की होती है लेकिन किसी भी शैक्षणिक तथा प्रशिक्षण संस्थान के पास इनके विकास के लिए समय ही नही है। समाचार पत्रों आदि में प्रतिष्ठित स्कूलों, कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों के छात्रों द्वारा भयंकर नकारात्मक व्यवहार के समाचार इस स्थिति के द्योतक हैं।

कोई भी नियोक्ता ऐसे व्यक्ति को प्रबंधक या कर्मचारी के रूप में अपने यहाँ रखने के बारे में सोच भी नही सकता जो अपने सह्कर्मियो के साथ सहजता से कार्य नहीं कर सकता और उनका सहयोग नही ले पाता है (कमजोर भावनात्मक बुद्धिमत्ता का द्योतक) और भ्रष्ट एवं आत्म-केद्रित है (कमजोर नैतिक बुद्धिमत्ता का द्योतक) चाहे वह कितना भी उच्च मानसिक बुद्धिमत्ता का धनी क्यों न हो। एक बार गूगल के मुखिया के पूंछा गया कि जिन प्रबंधकों को करोड़ों रूपये का वार्षिक वेतन दिया जाता है उनसे आप की सस्था में नौकरी देने के पूर्व लिए जाने वाले साक्षात्कार में क्या प्रश्न पूछे जातें हैं? उन्होंने बताया कि हम उनसे मात्र एक प्रश्न ही पूछते हैं कि उनके जीवन में सबसे बड़ी समस्या क्या और कब आयी और उसका समाधान उन्होंने कैसे किया? इस दौरान उनकी सोच क्या थी? व्यक्ति की वास्तविक क्षमता का पता विषम परिस्थिति में ही चलता है।

वर्तमान शैक्षणिक परिवेश और बच्चों के व्यक्तित्व विकास प्रक्रिया की वर्तमान कमियों को ध्यान में रखकर ‘प्रयास’ ने विद्यार्थियों की भावनात्मक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक या नैतिक बुद्धिमत्ता विकसित करने के लिए विचार-मंथन आधारित एक अनूठा समेकित व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम जिसे ‘प्रयास फाउंडेशन कोर्स’ कहते है, आरम्भ किया है। यह कार्यक्रम विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों द्वारा दी जा रही शिक्षा में पूरक है। यह स्व-विश्लेषण, समूह-विचार मंथन और स्व-निर्देशित लेखन जैसी प्रकियाओं को अपनाता है। यह अंशकालीन, लचीला, अनौपचारिक कार्यक्रम है जो प्रतिभागियों के नियमित अध्ययन में कोई भी बाधा नहीं उत्पन्न करता है। यह कार्यक्रम विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों द्वारा दी जा रही शिक्षा में पूरक है एवं उनकी प्रतिष्ठा एवं प्रभावशीलता में आशातीत सुधार लाता है। इसका संचालन पूर्णतया डिजिटल माध्यम से किया जाता है।

इस कार्यक्रम के किसी बैच में प्रवेश पूरा होने और उसके आरंभ किये जाने के तुरंत बाद प्रतिभागियों की मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक या नैतिक बुद्धिमत्ता के वर्तमान स्तर एवं उनके व्यक्तित्व की अन्य विशिष्टताओं एवं कमजोरियों का पता लगाने के लिए उनका समूह व्यक्तित्व परीक्षण, कई समय-सिद्ध मनोवैज्ञानिक उपकरणों के माध्यम  से किया जाता है और उनके व्यक्तित्व का एक प्रवेशपूर्व खाका (आरंभिक व्यक्तित्व रेखांकन) तैयार किया जाता है और कोर्स को संचालित करने वाले व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शक को प्रतेक प्रतिभागी के व्यक्तित्व की विशिष्टताओं से अवगत करा दिया जाता है। कार्यक्रम के समाप्त होने के एक माह पूर्व इस कार्यक्रम में भाग लेने के कारण प्रतिभागियों के व्यक्तित्व में हुए वास्तविक परिवर्तनों का पता लगाने के लिए प्रतेक प्रतिभागी का समूह में पुनः व्यक्तित्व रेखांकन परीक्षण किया जाता है और उसके व्यक्तित्व का संशोधित खाका तैयार किया जाता है। ‘प्रयास’ द्वारा प्रतेक प्रतिभागी के व्यक्तित्व के आरंभिक और अंतिम खाके की तुलना करके उसकी ‘व्यक्तित्व विकास रपट’ तैयार की जाती है। यह रपट उसके व्यक्तित्व में हुए महत्वपूर्ण परिवर्तनों को इंगित करती है और भविष्य में आवश्यक सुधार के किये कुछ सुझाव देती है जिसे अभिभावकों या विद्यालयों द्वारा लागू किया जा सकता है।  यह पूरी प्रक्रिया स्मार्ट फ़ोन के माध्यम से संपन्न की जाती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है की इसे सफलतापूर्वक पूरा करने वाले प्रतिभागी अपने जीवन, शिक्षा, परिवार और समाज की दैनिक समस्याओं का पूरे विश्वास के साथ सामना करने और उनका समाधान करने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाय।

कार्यक्रम का उद्देश्य

इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों में निम्न प्रकार की क्षमताओं का विकास करना है जो विद्यार्थी जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं।

  1. अपनी ऊर्जा को एकाग्र करने की क्षमता।
  2. नई घटनाओं, परिस्थितियों, तकनीकों एवं प्रक्रियों को समझने एवं उनसे सीख लेने की उत्कट जिज्ञाशा।
  3. दूसरों के विचारों को पूरी तन्मयता से सुनकर, उनका तार्किक विश्लेषण करके और उनके परिणाम पर विचार करने के बाद अपने विचार दूसरों के सामने तार्किक ढंग से रखने की क्षमता।
  4. अपनी अभिरुचि एवं रुझान के अनुरूप विद्यार्थी जीवन में सफलता प्राप्त करने की क्षमता प्राप्त करने की दक्षता।
  5. अध्ययन में सफलता प्राप्त करने में सहायक परिवेश निर्मित कर पाने की क्षमता।
  6. परीक्षा में उत्कृष्ट परिमाण के लिए अपनी ऊर्जा और समय का बिना अपव्यय किये अपने सिमित समय का सदुपयोग करने की क्षमता।
  7. समय-प्रबंधन की क्षमता।

उक्त क्षमताओं के विकसित हो जाने के फलस्वरूप प्रतिभागी का वाह्य-नियंत्रित व्यक्तित्व स्व-उत्प्रेरित, स्व-संचालित एवं स्व-नियंत्रित हो जाता है।   इस सकारात्मक परिवर्तन के कारण विद्यालयों एवं महाविद्यालयों द्वारा किये गए शैक्षणिक प्रयास का प्रभाव काफी बढ़ जाता है और उनका शैक्षणिक परिणाम उत्कृष्ट हो जाता है। बच्चों के अभिभावक, उनके परिवार के अन्य सदस्य, संबंधी, मित्र एवं अन्य व्यक्ति जो उनसे दिन प्रति दिन व्यवहार करते है, भी उनके आचार-विचार में सकारात्मक परिवर्तन देखकर काफी प्रसन्न होते है। इससे उनके विद्यालय, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होत्ती है।

कार्यक्रम का पाठ्यक्रम

iइस कार्यक्रम के प्रतिभागियों को निम्न सामान्य विषयों से सम्बंधित रुचिकर प्रश्नों (विचार-विन्दुओं) पर स्वछंद विचार मंथन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और उन्हें प्रतिदिन अपने घर से अपनी इच्छानुसार किसी भी एक विषय पर विचार-मंथन के पूर्व कम से कम एक पृष्ट लिखकर अपने मोबाइल के माध्यम से पोस्ट करना होता है। उन्मुक्त विचार-मंथन एवं स्व-निर्देशित लेखन प्रक्रिया प्रतिभागियों के अन्दर जीवन की व्यावहारिक समस्याओं पर वस्तुनिष्ट एवं तार्किक सोच-विचार करके उनका उचित समाधान करने की क्षमता  विकसित कर देती है।

  1. जीवन के सामान्य प्रबंधन में विद्यार्थी जीवन का महत्व: विद्यार्थी जीवन वयस्क जीवन की आधारशिला, विद्यार्थी जीवन के विभिन्न आयाम, उद्देश्य, योजना एवं परिणाम, अभिरुचि एवं रुझान का अध्ययन हेतु विषय के चयन और अध्ययन पूर्ण होने के बाद नौकरी या पेशा चुनने में महत्त्व। समय प्रबंधन एवं अनुशासन का महत्त्व।
  2. मनोवैज्ञानिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर मानसिक स्थिति या सोच का प्रभाव: हमारी आंतरिक सोच का हमारे स्वास्थ्य एवं प्रसन्नता पर प्रभाव, हर सामने आने वाली परिस्थिति में पूर्णतया शांत एवं स्थिर रहने के लिए अपनी सोच को कैसे ठीक रखें?  सकारात्मक सोच एवं ध्यान द्वारा शरीर की आनुवंशिक संरचना में सकारात्मक परिवर्तन की संभावना।
  • अपने व्यक्तित्व की विशिष्टत्ताओं को जानने और समझने के लाभ : स्वयं को समझने के लिए अपने व्यक्तित्व, अभिरुचि, रुझान एवं अन्य  विशेषताओं को वैज्ञानिक तरीके से समझने का महत्त्व और विभिन्न प्रकार की बुद्धिमत्ता के स्तर का महत्व और उसमे सुधार की आवश्यकता, सफलता का मनोविज्ञान, व्यवहार परिवर्तन की प्रक्रिया एवं उसका महत्त्व.
  1. व्यक्तित्व विकास के विभिन्न आयाम: पारिवारिक परिवेश, शिक्षा- औपचारिक तथा अनौपचारिक ; शिक्षक का महत्व; सीखने की प्रक्रिया में सहयोगी परिवेश का महत्त्व,  उर्जा के केन्द्रीकरण की प्रक्रिया एवं उसका लाभ; स्मरण शक्ति में सुधार के तरीके; विद्या एवं बुद्धि  के सामंजस्य का लाभ,  भावनात्मक  परिपक्वता की प्राप्ति और जीवन में  नैतिक मूल्यों के महत्व की समझ।
  2. व्यक्तिगत सोच एवं व्यवहार: कर्म का सिद्धान्‍त ; मानव विकास में कार्य की भूमिका,  समय प्रबंधन; मोबाइल /इन्टरनेट के उपयोग का लाभ एवं हानि और उसके उचित उपयोग का महत्व; असफलता से सफलता की तरफ; तनाव के कारक एवं उससे मुक्ति के तरीके; नकारात्मक सोच से हानि और सकारात्मक सोच से लाभ; अपरिवर्तनशीलता या रुढ़िवादिता से हानि; खेलभावना, सृजनशीलता एवं कल्पनाशीलता विकसित करने के लाभ एवं खेल कूद से व्यवहार परिवर्तन; सामाजिक स्वीकार्यता; व्यक्तिगत व्यवहार की सरलता का महत्त्व,  उद्यमशीलता का महत्त्व;  प्रबंधकीय, वित्तीय एवं विधिक समझ का जीवन में महत्त्व।
  3. धार्मिक मान्यताएं एवं व्यवहार :  विभिन्न धर्मों की मौलिक मान्यताएं; प्रशासनिक व्यवहार में धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता एवं महत्त्व, विश्व बंधुत्व की अवधारणा; मानव समानता का आधार; मानवाधिकार; नैतिक आचरण; भ्रष्टाचार न करना; किसी को हानि न पहुचाना, सामाजिक समरसता एवं सामाजिक शांति के लाभ।
  • सामाजिक संबंध एवं व्यवहार: मानव एक सामाजिक प्राणी; परिवार; सगे संबधी, सामाजिक संबंध; व्यक्ति की अच्छाई में विश्वास; मित्रता; भ्रष्टाचार का समाज विशेषकर ग़रीबों पर कुप्रभाव, धार्मिक एवं सामाजिक कुरीतियों का प्रभाव, सामाजिक सुधार की आवश्यकता एवं उसके लाभ।
  • आर्थिक परिवेश एवं व्यवहार: बचत एवं निवेश; आर्थिक विषमता का सामाजिक समरसता पर प्रभाव; बेरोजगारी के कारण, असंतोष एवं उनका समाधान; विभिन्न मुद्राएँ; अंतर्राष्ट्रीय व्यापार,  अति उपभोक्तावाद के नुकसान, सुरक्षित भविष्य के लिए  बचत का सही उपयोग का महत्व और पैसे के महत्त्व की सीमा।
  1. राजनैतिक प्रणाली एवं वर्तमान  परिवेश: वर्तमान प्रजातांत्रिक परिवेश; मतदान प्रक्रिया; केद्र एवं राज्य सरकारों का गठन; नागरिकों के अधिकार एवं कर्तव्य,  जनता की जागरुकता एवं प्रशासन की गुणवत्ता, बहु-धर्मी समाज में प्रशासन में धर्मनिरपेक्ष विचारों का महत्त्व।
  2. विधिक व्यवस्था : क़ानून व्यवस्था,  अपराध नियंत्रण, अपराध का MANIOVYGYAमनोविज्ञान, सिविल प्रक्रिया संहिता, अपराध प्रक्रिया संहिता, क़ानून व्यवस्था की वर्तमान समस्याएं, चुनौतियां एवं समाधान ।
  3. सामान्य ज्ञान: शासन व्यवस्था; देश एवं राज्य; भाषाएँ; कृषि व्यवस्था; पर्यावरण का महत्व, सफाई, स्वाथ्य एवं बीमारी नियंत्रण; संतुलित एवं पौष्टिक भोजन; योग एवं प्राणायाम का महत्त्व; नींद का महत्त्व
  • अन्य विषय : प्रतिभागियों की विशेष आवश्यकता के अनुसार अन्य उपयोगी विषयों पर चर्चा की जाती है। विद्यार्थी अच्छे रोजगार की आकांक्षा रखतें है अतः इस ध्यान में रखकर कुछ विचार-विन्दु जोड़े जा सकतें हैं।

समय समय पर प्रतिभागियों से प्राप्त होने वाले प्रतिपुष्टि (फीडबैक) को ध्यान में रखकर उक्त पाठ्यक्रम में समुचित परिवर्तन किया जाता है ताकि इसकी उपादेयता बनी रहे।

कोर्स संचालन एवं प्रबंधन

isइस कार्यक्रम का संचालन स्वतंत्र ‘व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शकों’ या शिक्षण/अन्य संस्थानों द्वारा अपने नियमित शिक्षकों/प्रबंधकों के माध्यम से हमारे मार्गदर्शन में किया जाता है। ‘व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शक’ के रूप में इस कार्यक्रम को चलाने के लिए इच्छुक व्यक्ति एवं अपने छात्रों के लिए इस कोर्स का संचालन एवं प्रबंधन करने के इच्छुक स्कूलों, कॉलेजों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों को हमारे साथ एक ‘सहमति पत्र’ पर हस्ताक्षर करना और स्वयं को हमारे साथ पंजीकृत कराना पड़ता है और व्यक्तिगत या संथागत सदस्यता प्राप्त करनी होती है। सहमति पत्र में दोनों पक्षों (प्रयास तथा इस कार्यक्रम को चलाने के इच्छुक व्यक्ति या संस्था) के कर्तव्य एवं जिम्मेदारियां इंगित की गई हैं। ‘प्रयास’ की जिम्मेदारी समुचित प्रशिक्षण एवं तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करना और संचालक व्यक्ति या संस्था की जिम्मेदारी इसके संचालन के सम्बंधित सारे कार्यों का निर्वहन करना होता है। आपसी सहमति से इसकी शर्तों में परिवर्तन किया जा सकता है।

शिक्षण संस्थान या समकक्ष संस्थान अपने अध्यापकों/प्रबंधकों को ‘प्रयास’ से प्रशिक्षण दिलाकर इस कार्यक्रम का संचालन एवं प्रबंधन अपने परिसर में करते हैं जिसके एवज में उन्हें कुल शुल्क का 70 % प्राप्त होता है और इसका बाकी 30% “प्रयास” को प्राप्त होता है। स्कूल अपने हिस्से (70%) से ही is कोर्स को संचालित करने वाले शिक्षक/प्रबंधक को आवश्यक मानदेय का भुगतान करते हैं। कोई व्यक्ति भी ‘प्रयास’ से निशुल्क प्रशिक्षण प्राप्त करके हमारे अंशकालीन व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शक के रूप में संस्थाओं से मिलती जुलती शर्त पर isइस कोर्स का संचालन कर सकता है। उसे भी मासिक मार्गदर्शन शुल्क का 70 प्रतिशत प्राप्त होता और बाकी 30 प्रतिशत ‘प्रयास’ को प्राप्त होता है। इस कोर्स का संचालन एवं प्रबंधन सहमति पत्र की शर्तों के अनुसार होता है जिसपर दोनों पक्षों को हस्ताक्षर करना पड़ता है।

गुणवत्ता नियंत्रण

कार्यक्रम के दौरान निश्चित अंतराल एवं इसके अंत में प्रतेक प्रतिभागी एवं कोर्स का संचालन करने वाले शिक्षक/व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शक से कार्यक्रम को चलाने के वर्तमान तरीकों, चर्चा बिन्दुओं और कोर्स की उपादेयता के बारे में लिखित सुझाव लिए जाते हैं और उनपर सम्यक विचार करके चालू कार्यक्रम एवं अगले कार्यक्रम में आवश्यक सुधार किया जाता है। बदलती आवश्यकता के अनुसार ‘प्रयास’ द्वारा school इस कार्यक्रम में आवश्यक सुधार किये जातें है और स्कूल द्वारा नामित मार्गदर्शक शिक्षकों/व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शको को समय समय पर निशुल्क पुनः प्रशिक्षण भी दिया जाता है ताकि कार्यक्रम की गुणवत्ता बनी रहे।

कार्यक्रम की अवधि

इस कार्यक्रम की सामान्य अवधि 6 माह है जिसके अंतर्गत सप्ताह में 6 दिन प्रतिदिन 90 मिनट के विचार-मंथन सत्र आयोजित किये जातें हैं। इस अवधि को प्रतिभागियों एवं इसे संचालित करने वाले ‘व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शकों और संस्थाओं की अपनी आवश्यकतानुसार विचारमंथन सत्र की अवधि और सप्ताह में इसके संचालन के दिनों में परिवर्तन करके इसकी अवधि में परिवर्तन किया जा सकता है जिसके लिए ‘प्रयास’ की पूर्व अनुमति आवश्यक होगी।

कोर्स परिकल्पना एवं निर्देशन

इस कोर्स के परिकल्पक एवं निर्देशक डॉ. राम चन्द्र राय हैं  जो ‘भारतीय रेलवे लेखा सेवा’ जो एक केद्रीय सिविल सेवा है के सेवा निवृत अधिकारी है। उन्होंने अपनी स्कूल एवं कॉलेज की शिक्षा पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक ग्रामीण इलाके से पूरा करने के बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी से भौतिकी में बीएससी (आनर्स), एमबीए तथा पीएचडी की उपाधि प्राप्त किया। उसके बाद 7 वर्ष तक एक सरकारी औद्योगिक परामर्श संस्था में वित्त एवं प्रबंध परामर्शदाता के रूप में कार्य करने के बाद केद्रीय सिविल सेवा में चयनित होकर भारतीय रेलवे लेखा सेवा में 32 वर्ष कार्य करके भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव के समकक्ष पद (प्रमुख वित्त सलाहकार) से सेवा निवृत होकर इस समय ‘प्रयास’ के साथ  समेकित व्यक्तित्व विकास कार्य हेतु पूरी तरह समर्पित हैं। वित्त परामर्शदाता के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने नोएडा के वित्त पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारतीय रेलवे की सेवा करते हुए इन्होने नेशनल अकादमी ऑफ़ इंडियन रेलवे वडोदरा में प्रोफेसर एवं सीनीयर प्रोफेसर के रूप में भी सात वर्ष तक कार्य किया है और इन्हें प्रतिभागियों के व्यवहार परिवर्तन में सक्षम पाठ्यक्रमों की परिकल्पना और निर्देशन का लम्बा अनुभव है। यह कार्य वें समाज सेवा की भावना से कर रहें हैं।

इस कार्यक्रम का मौलिक दर्शन

इस कार्यक्रम का मौलिक दर्शन मानव व्यवहार का यह महत्वपूर्ण तथ्य है कि यदि किसी व्यक्ति को अपने सोच-विचार एवं व्यवहार को परिवर्तित करने के लिए किसी व्यक्ति द्वारा निर्देशित किया जाय तो वह अहंकारवश उसका यथासंभव प्रतिरोध करता है और इसके लिए जल्दी तैयार नहीं होता है। यदि वह किसी मजबूरी में या भयवश वह इसके लिए तैयार भी हो जाता है तो उसके व्यवहार में यह परिवर्तन CHIRSTHAAIEEचिरस्थायी नहीं होता और सम्बंधित भय या मजबूरी के समाप्त होते ही वह पुनः अपने पुराने व्यवहार पर लौट आता है।  परन्तु इसके विपरीत यदि वह स्वयं या समूह में अन्य लोगों के साथ चर्चा, अन्वेषण और विश्लेषण से इस निष्कर्ष पर पहुचता है कि अपने आचार-विचार में वांछित परिवर्तन से उसे लाभ होगा और इस कारण स्वेच्छा से वह अपने आचार-विचार में परिवर्तन करता है तो यह परिवर्तन स्थायी होता है। चूँकि इस कार्यक्रम में विचार-मंथन सत्र का संचालन करने वाला व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शक प्रतिभागियों को एक किसी विषय विशेष के विभिन्न आयामों पर समूह में विचार मंथन करके वांछित व्यवहार के संदर्भ में एक आम-राय कायम करने के लिए मात्र उत्प्रेरित करता है और अपनी राय उनके उपर थोपता नहीं है अतः इस बात की संभावना अधिक होती है कि उस समूह के सदस्य आम-सहमति से निर्धारित व्यवहार को अपनाने का निर्णय स्वेच्छा से लें और वास्तव में अपने व्यवहार में वैसा परिवर्तन ले आयें। एक बार व्यक्ति के सोच एवं व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन आ जाय तो उसके सफल होने की संभावना काफी बढ़ जाती है और दूसरों पर उसकी निर्भरता कम हो जाती है।

कार्यक्रम से प्रतिभागियों को संभावित लाभ

इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूर्ण करने वाले प्रतिभागियों को होने वाले संभावित लाभों में, अपने व्यक्तित्व की बेहतर समझ, आत्म-अनुशासन में सुधार, बेहतर समय-प्रबंधन, अपने परिवार के सदस्यों, सगे-संबधियों, मित्रों, और अन्य लोगों के साथ बेहतर सम्बन्ध,  बेहतर शैक्षणिक परिणाम, भविष्य के जीवन का बेहतर प्रबंधन, आगे की नौकरी या पेशे में सफलता, आनंद तथा सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि आदि शामिल हैं। यह कार्यक्रम प्रतिभागी के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है और जीवन की कठिन से कठिन समस्याओं और चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करने में सक्षम बनाता है। हमारा जीवन विभिन्न समस्याओं, कठिनाईयों और चुनौतियों के भरा होता है और यदि हम बिना अपना संयम खोये इनका समाधान कर लें तो हम न केवल अपने कार्य में सफल होते हैं बल्कि संतुष्ट, प्रसन्न और शांत भी रहतें हैं। यह कार्यक्रम इसमें हमारी सहायता करता है। इस कोर्स का महत्त्व इस लिए और बढ़ जाता है कि प्रतिभागियों की सभी शंकाओं का समाधान सुनिश्चित किया जाता है और इस कोर्स की समाप्ति के बाद इसके प्रतिभागियों के लिए दीर्घकालिक व्यक्तिगत मार्गदर्शन सेवा भी उपलब्ध कराई जाती है जिसके लिए सामान्य आर्थिक क्षमता वाले प्रतिभागियों को मात्र 1000 (एक हजार) रुपये प्रति वर्ष एवं आर्थिक रूप से कमजोर प्रतिभागियों को मात्र 500 (पांच सौ) रूपये प्रति वर्ष देना पड़ता है।

कार्यक्रम का शुल्क

वर्तमान में 6 माह के इस कार्यक्रम का कुल शुल्क मात्र 5000 (पांच हजार) रूपये है। यदि किसी कारणवश कार्यक्रम की अवधि बढ़ती है तो उसी अनुपात में कुल मार्गदर्शन शुल्क भी बढ़ जाएगा।  इसका भुगतान दो किश्तों में करना होता है। पहली किश्त 50% अग्रिम फीस होती है और इसकी प्राप्ति से बाद ही संबंधित विद्यार्थी विचार मंथन प्रक्रिया में भाग ले सकता है। दूसरी किश्त तीसरे माह के प्रथम सप्ताह में देय होती है। भविष्य में इस कार्यक्रम के शुल्क में परिवर्तन किया जा सकता है परन्तु वह नए बैच से लागू होगा।  हमारे मार्गदर्शन में इस कार्यकर्म का संचालन करने वाले व्यक्ति (व्यक्तित्व विकास मार्गदर्शक) या संस्था मासिक मार्गदर्शन शुल्क का 70% इसके संचालन एवं प्रवंधन के एवज में प्राप्त करने के अधिकारी हैं और इसका 30% व्यक्तित्व रेखांकन, तकनीकी सहायता प्रदान करने और इसके संचालन के लिए पूर्ण मार्गदर्शन करने के लिए ‘प्रयास’ अपने पास रखता है। इसके एक बैच में मात्र 15 प्रतिभागी भाग ले सकतें हैं जिसमें से 10 प्रतिभागी पूरी फीस देते हैं और 05 प्रतिभागी जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों से आतें है, अपनी भुगतान क्षमता के अनुसार फीस देतें हैं। किसी आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति को 5000 रूपये की पूरी फीस में से कितनी फीस देनी है इसका निर्णय ‘प्रयास’ की सहमति से किया जाता है।

इस कार्यक्रम को कैसे आरम्भ करें?

अपने विद्यार्थियों या अन्य बच्चों के लिए इस कार्यक्रम का संचालन तथा प्रबंधन करने के इच्छुक व्यक्ति या संस्था इस वेबसाइट से इसका सूचना प्रपत्र एवं खाली सहमति पत्र डाउनलोड करके और हमसे चर्चा करके उसे भरकर और हस्ताक्षर करके प्रदत्त पंजीकरण शुल्क जमा करके हमारे साथ अपना पंजीकरण करा सकतें हैं और उसके बाद प्रतिभागियों द्वारा शुल्क की पहली किश्त डिजिटल मध्य से जमा किये जाने के बाद और प्रशिक्षण प्राप्त करके इसे आरम्भ कर सकतें हैं।